संत पापा ने धर्माध्यक्षों से कहा जीवन में परिवर्तन के लिए सुसमाचार शेयर करें
वाटिकन सिटी 8 सितम्बर 2012 (सीएनएस) संत पापा ने विगत वर्ष नियुक्त 92 धर्माध्यक्षों
को 7 सितम्बर को सम्बोधित करते हुए कहा कि लोगों के अंतःकरण को जगाने तथा मेलमिलाप का
प्रसार करने के लिए ईसाईयों को सुसमाचार की शक्ति पर भरोसा करना चाहिए। विश्वास सबसे
महत्वपूर्ण उपहार है जिसे हमें जीवन में दिया गया है इसे हम केवल अपने लिए नहीं रख सकते
हैं। जीवन में पूर्णपरिवर्तन लाने के लिए लोगों के साथ सुसमाचार की शेयरिंग करें। परमधर्मपीठीय
सुसमाचार प्रसार परिषद के तत्वाधान में आयोजित इस सेमिनार को बहुधा नये धर्माध्यक्षों
का स्कूल कहा जाता है। 2 से 15 सित्म्बर तक आयोजित सेमिनार में 92 धर्माध्यक्ष भाग ले
रहे हैं। सुसमाचार प्रसार परिष्द के अध्यक्ष कार्डिनल फेरनान्दो फिलोनी ने 92 मिशनरी
धर्माध्यक्षों का संत पापा से परिचय कराते हुए कहा कि 63 धर्माध्यक्ष अफ्रीका के 17 एशिया
के 6 लैटिन अमरीका के तथा 6 ओशेनिया के हैं। कार्डिनल फिलोनी ने संत पापा से कहा
कि अनेक धर्माध्यक्ष बहुत ही कठिन परिस्थितियों और हालातों में काम करते हैं। ऐसे जगह
भी हैं जहाँ ईसाईयों के खिलाफ भेदभाव होता तथा यहाँ तक कि अत्याचारों का सामना करना पड़ता
है। संत पापा ने कहा कि कलीसिया का जन्म मिशन से हुआ हौ और मिशन के साथ ही बढ़ती
है। अफ्रीका एशिया और ओशेनिया के नवगठित काथलिक समुदायों में हाल के दशक में बाहर से
आनेवाले मिशनरी पुरोहितों की संख्या में कमी आयी है लेकिन इन धर्मप्रांतों से बड़ी संख्या
में अपने पुरोहित हुए हैं तथा कुछ मामलों में वे यूरोप और उत्तरी अमरीका में सेवा करने
के लिए भेजे जा रहे हैं। नवस्थापित युवा काथलिक समुदाय एक ओर उत्साह और प्रेरितिक जोश
का प्रदर्शन करते तो दूसरी ओर अस्थायित्व और निरंतरता की कमी के प्रसंग भी सामने आते
हैं। कलीसियाई नेताओं के सामने चुनौती है कि काथलिक कलीसिया के विकास को प्रोत्साहन देते
हुए स्थायित्व को बनाये रखें। संत पापा ने कहा कि अनेक मिशन क्षेत्रों में भोजन,
चिकित्सा और शिक्षा संबंधी आकस्मिक स्थितियाँ कलीसिया द्वारा संचालित सोशल वर्क के लिए
चुनौती उत्पन्न करती हैं तथा चरमपंथ के कारण सुसमाचार प्रचार के सामने बाधाएं आती हैं
विशेष रूप से उन स्थितियों में जब चरमपंथवाद खुले रूप से लोगों की धार्मिक स्वतंत्रता
के अधिकार तथा कमजोर लोगों विशेष रूप से बच्चों, महिलाओं और विकलांगो के प्रति सम्मान
से इंकार करते इनका मूल्य कम कर आंकते हैं। जातीय विद्वेष तथा वर्गभेद को समाप्त करने
के लिए काम करने के महत्व को संत पापा ने रेखांकित किया जो लोगों में विभाजन और हिंसा
लाने का खतरा बन सकते हैं।