प्रेरक मोतीः ईशमाता मरियम का जन्म दिवस (पहली शताब्दी)
वाटिकन सिटी, 08 सितम्बर सन् 2012:
सार्वभौमिक काथलिक कलीसिया आठ सितम्बर को ईश
माता मरियम का जन्म दिवस मनाती है। सन्त अन्ना तथा सन्त योआखिम, धन्य कुँवारी मरियम के,
माता पिता थे। प्रेरितिक परम्परानुसार मरियम का जन्म जैरूसालेम स्थित सन्त अन्ना के गिरजाघर
के परिसर में हुआ था। एक समय मरियम का माता अन्ना यहीं रहा करती थीं।
आरम्भिक
कलीसिया के धर्मतत्ववैज्ञानिक एवं पुरातन कलीसियाई आचार्य सन्त इरेनियुस ने मरियम को
"हमारी मुक्ति का कारण" बताया है तथा उनके जन्म का विवरण देते हुए उन्हें "हमारी मुक्ति
के उषाकाल" की संज्ञा प्रदान की है। आठ सितम्बर को कलीसिया उसी विशिष्ट जन्म का महोत्सव
मनाती है, उस जन्म का जो सम्पूर्ण विश्व में आनन्द लेकर आया।
काथलिक एवं एंग्लिकन
कलीसियाओं में यह पर्व आठ सितम्बर को मनाया जाता है। काथलिक एवं एंग्लिकन कलीसियाओं के
अलावा पूर्वी रीति की कलीसियाएँ भी मरियम के जन्मदिन को ईश माता मरियम के जन्म दिवस रूप
में मनाती है।
कई अन्य पर्वों की तरह ही मरियम का जन्म दिवस महापर्व पूर्व से
हम तक आया जहाँ वह छठवीं शताब्दी से ही मनाया जाता रहा था। सिरियाई सन्त पापा सरजियो
प्रथम ने, सातवीं शताब्दी में, इस महापर्व का शुभारम्भ रोम में किया। धन्य कुँवारी मरियम
के जन्म दिवस हेतु सन्त क्रिज़ोस्तम द्वारा रचित धर्मविधिक प्रार्थना, मरियम की इस प्रकार
वन्दना करती हैः "हे ईशमाता! आपके जन्म ने सम्पूर्ण विश्व को आनन्द का
सन्देश दिया क्योंकि आपसे ही न्याय के सूर्य, ख्रीस्त हमारे प्रभु, का उदय हुआ। अभिशाप
से मुक्त कर उन्होंने हमें विपुल आशीष प्रदान की, मृत्यु को परास्त कर उन्होंने हमें
अनन्त जीवन प्रदान किया।"
काथलिक धर्मबहन सि. एलीज़ाबेथ एन क्लिफर्ड के शब्दों
मेः "मरियम जिन्हें हम "ईश माता" शीर्षक से सम्बोधित करते हैं, कलीसिया की आदिरूप एवं
आदर्श हैं। वे नये जैरूसालेम की परिपूर्णता हैं, तथापि, वे हममें से एक हैं। वे हमारे
पहले जा चुकी हैं, वे हमारी मुक्ति का प्रथम फल हैं। हमारे लिये वे ईश योजना में सहयोग
देनेवाली सर्वोत्तम आदर्श हैं, उन्हीं का हम अनुसरण करें।
चिन्तनः
"मैं प्रभु की दासी हूँ तेरा वचन मुझमें पूरा हो", आज्ञाकारिता भरे मरियम के इन शब्दों
पर हम चिन्तन करें।