2012-08-30 16:46:00

रिमसा मसीह मामले में चिकित्सा रिपोर्ट को चुनौती


इस्लामाबाद पाकिस्तान 30 अगस्त 2012 (एशिया न्यूज) इस्लामाबाद में एक कोर्ट ने धार्मिक नेताओं के दबाव के तहत ईशनिन्दा मामले में मानसिक रूप से विकलांग नाबालिग रिमसा मसीह को मुक्त करने के निर्णय पर होनेवाली सुनवाई पहली सितम्बर तक स्थगित कर दी गयी है। मुसलमान विद्वानों और कानूनी विशेषज्ञों ने एक वकील के द्वारा याचिका देकर अदालत द्वारा मनोनीत चिकित्सा आयोग की रिपोर्ट को चुनौती दी है जिसने रिमसा को 14 साल से कम बताते हुए मानसिक रूप से विकलाँग बताया है लेकिन किस प्रकार की मानसिक कमजोरी है इसके बारे में स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहा गया।

सूत्रों ने कहा कि मुसलमान धार्मिक नेताओं के वकील द्वारा जमा किये गये रिपोर्ट की जजों द्वारा समीक्षा की जायेगी जिनका दावा है कि रिमसा 14 साल की है तथा मानसिक रूप से कमजोर या अस्वस्थ नहीं है इसलिए उसे अपने कृत्य के लिए जवाब देना होगा।

इस मामले में जज द्वारा पहली सितम्बर को निर्णय सुनाया जायेगा। कानूनी प्रक्रिया के तहत निर्णय सुनाते समय अभियुक्त को कार्यवाही के समय उपस्थित रहना होता है। न्यायालय द्वारा रिमसा को पुलिस निगरानी में भेजे जाने की अवधि पहली सितम्बर को समाप्त हो रही है।

रिमसा मसीह के जीवन की सुरक्षा को लेकर बढ़ते खतरे को देखकर आशंका उत्पन्न हो रही है कि चरमपंथी या अतिवादी समूह उसकी हत्या करने की योजना बना रहे हैं। रिमसा मसीह पर यह आरोप है कि उसने उन पन्नों को जलाया जिस पर पाक कुरान के शब्द अंकित थे। पाकिस्तान में ईश निन्दा कानून के तहत पाक कुरान का अपमान करने के अपराध के लिए अभियुक्त को आजीवन कारावास की सज़ा हो सकती है। अदालती प्रक्रिया से परे ईशनिन्दा के आरोपी व्यक्तियों की हत्याएं भी होती रही हैं।

इस्लामाबाद में अदालत के बाहर ईसाई कार्यकर्ताओं, संगठनों और अभियानों ने प्रदर्शन कर रिमसा की रिहाई की माँग की। लाईफ फोर आल के लगभग 50 सदस्यों ने बैनर ले रखे थे जिसपर लिखा था कि विश्व के 20 हजार से अधिक लोग रिमसा के लिए स्वतंत्रता की माँग करते हैं। आवाज नामक संगठन ने रिमसा मसीह की रिहाई के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अभियान आरम्भ किया है। आशिया बीबी के समान ही रिमसा भी पाकिस्तान के विवादित ईशनिन्दा कानून के खिलाफ संघर्ष की आइकन बन गयी है।








All the contents on this site are copyrighted ©.