2012-08-22 08:52:28

प्रेरक मोतीः आयरलैण्ड के सन्त एन्ड्रयू (नवीं शताब्दी)

वाटिकन सिटी, 22 अगस्त सन् 2012:


वाटिकन सिटी, 22 अगस्त सन् 2012:

सन्त दोनातुस के साथी एवं महापुरोहित सन्त एन्ड्र्यू तथा उनकी बहन, नन्हीं सन्त ब्रिजिड का जन्म, आयरलैण्ड के एक कुलीन परिवार में, नवीं शताब्दी में हुआ था। एन्ड्र्यू तथा उनकी बहन ब्रिजिड दोनों ने सन्त दोनातुस के अधीन अपनी शिक्षा-दीक्षा सम्पन्न की थी। सन्त दोनातुस के संग, एन्ड्र्यू, इटली की तीर्थयात्रा पर भी गये थे। दोनातुस और एन्ड्र्यू जब इटली के फियेसोले नगर पहुँचे तब लोग धर्माध्यक्ष की नियुक्ति के लिये एकत्र हुए थे। एकाएक स्वर्ग से एक आवाज़ सुनाई पड़ी जो धर्माध्यक्ष पद पर दोनातुस को नियुक्त किये जाने का संकेत दे रही थी। दोनातुस धर्माध्यक्ष नियुक्त कर दिये गये तथा एन्ड्र्यू उनके सहयोगी एवं महापुरोहित नियुक्त किये गये।

एक रिपोर्ट के अनुसार फियेसोले में एन्ड्रयू ने प्रार्थना द्वारा कई लोगों को चंगाई प्रदान की थी। एक बार अभिजात वर्ग के एक प्रतिष्ठित व्यक्ति ने एन्ड्र्यू को अपने यहाँ बुलाया था ताकि वे उनकी लकुआ ग्रस्त बेटी को आशीष दे सकें। एन्ड्र्यू उनके घर पहुँचे तथा लकुआग्रस्त लड़की की शैया के पास खड़े होकर प्रार्थना करने लगे। फिर, उन्होंने शैया के निकट, घुटने टेककर लड़की से कहा कि प्रभु येसु ने उसे चंगा कर दिया था इसलिये वह उठकर खड़ी हो जाये। एन्ड्र्यू की बात सुनते ही लड़की उठ खड़ी हो गई। एन्ड्रयू के चमत्कार की बात दूर दूर तक फैल गई तथा विशाल समूहों में उनके पास लोग चंगाई के लिये पहुँचे उनकी प्रार्थना से कईयों को चंगाई मिली, कईयों ने अपदूतों से मुक्ति पाई, अन्धों को दृष्टि का वरदान मिला तथा अनेक रोगी स्वास्थ्यलाभ प्राप्त कर सके। इन चमत्कारों के बाद महापुरोहित एन्ड्र्यू फियेसोले के एन्ड्र्यू तथा तोसाकाना के एन्ड्यू नाम से विख्यात हो गये।

सन्त दोनातुस के 47 वर्षीय धर्माध्यक्षीय काल के दौरान एन्ड्र्यू निष्ठापूर्वक उनके सचिव, सहयोगी, साथी एवं महापुरोहित रूप में सेवा करते रहे। इसी दौरान धर्माध्यक्ष दोनातुस के संरक्षण में उन्होंने इटली के मेनसोला में सन्त मार्टिन को समर्पित गिरजाघर का निर्माण करवाया तथा वहीं एक धर्मसमाजी मठ की भी स्थापना की। त्याग-तपस्या एवं मिताहारी जीवन तथा निर्धनों के प्रति अपनी अपार उदारता के लिये एन्ड्र्यू विख्यात हो गये थे। सन्त दोनातुस के निधन के कुछ ही समय बाद, सन् 877 ई. में, एन्ड्र्यू का भी निधन हो गया। बताया जाता है कि जब एन्ड्र्यू मृत्यु के निकट थे तब स्वर्गदूतों द्वारा उनकी बहन ब्रिजिड को आयरलैण्ड से इटली लाया गया था ताकि भाई के अन्तिम समय में वे उनके निकट रहें।

सन्त एन्ड्र्यू का पार्थिव शव सन्त मार्टिन को समर्पित गिरजाघर में दफ़नाया गया है। दफनाने के कुछ वर्षों बाद जब उनकी कब्र खोदी गई थी तब उनका शरीर ज्यों का त्यों सुरक्षित पाया गया था। उनके पवित्र अवशेष सन्त मार्टिन के गिरजाघर में सुरक्षित रखे गये हैं। 22 अगस्त को, सन्त एन्ड्र्यू का, पर्व मनाया जाता है।


चिन्तनः निर्धनों के प्रति उदारता एवं सत्य निष्ठ सेवा हेतु सन्त एन्ड्र्यू हमारे आदर्श बनें।









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