2012-08-20 13:12:19

रिमिनी महासभा के लिये संत पापा का संदेश


कास्तेल गंदोल्फो, 20 अगस्त, 2012 (वीआर, अंग्रेज़ी) संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने रिमिनी के धर्माध्यक्ष फ्रानेस्को लम्बियासी को 33वें रिमिनी महासभा के लिये एक संदेश भेजा है। महासभा की विषयवस्तु है, "बय नेचर, मैन ईज़ रिलेशन टू द इनफिनीट" अर्थात् "स्वभावतः मानव अनन्त से जुड़ा है।"

अपने संदेश में संत पापा ने कहा, "मनुष्य और उसकी अनन्त की इच्छा के बारे में विचार करने का अर्थ है सबसे पहले इस बात को स्वीकार करना कि व्यक्ति का अंगभूत संबंध सृष्टिकर्त्ता के साथ है।"

उन्होंने कहा, "मानव ईश्वर का सृष्ट प्राणी है फिर भी आज ‘प्राणी’ शब्द एक फैशन की तरह लगता है। आज हम मानव के बारे में यह सोचना पसंद करते हैं कि वह अपने आपमें पूर्ण है और अपने भाग्य का खुद ही विधाता है।"

संत पापा ने कहा "मानव ईश्वर के साथ अपने जो एक गहरा संबंध है उससे कतराने का प्रयास करता है। वस्तुतः उसका ह्रदय अब भी अनन्त की तलाश कर रहा है पर उसकी दिशा बदल गयी है। वह सूखा और झूठे अनन्त की ओर भागता है जो उसे खतरनाक स्थानों की ओर ले जाते हैं। जैसे, नशापान, कामुकता, सफलता के लिये हर साधन का उपयोग और कई बार दगा देनेवाली धार्मिकता का उपयोग।"

संत पापा ने कहा, "अपने वास्तविक अस्तित्व को प्राप्त करने के लिये मानव को चाहिये कि वह अपने आपको एक सृष्ट प्राणी रूप में पहचाने जो अपने सृष्टिकर्त्ता ईश्वर पर निर्भर है।"

"जब वह इस निर्भरता को पहचानेगा तो निश्चय ही आनन्द को प्राप्त करेगा और इस बात को समझेगा कि वह ईश्वर की संतान है जो सचमुच पूर्ण और स्वतंत्र जीवन प्राप्त सकता है।"



















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