नई दिल्ली, 18 अगस्त, 2012 (कैथन्यूज़) संत जोसेफ जेस्विट कॉलेज ने उत्तर-पूर्वी भारत
के उन लोगों को कॉलेज कैम्पस में शरण दी है जो उस अफ़वाह से बंगलोर छोड़ने को मजबूर थे
जिसमें कहा गया था कि स्थानीय मुस्लिम उत्तर-पूर्वी भारतीय पर असम में हुए हिंसा का बदला
लेंगे।
संत जोसेफ आर्ट्स एंड साइन्स कॉलेज के प्रिंसिपल जेस्विट फादर डैनियेल
फर्नान्डेज़ ने लोगों से अपील की है कि वे अफ़वाहों से न डरें और शहर छोड़कर न जायें।
उन्होंने
बतलाया कि उत्तर-पूर्वी भारतीयों की सुरक्षा केलिये लिये उन्होंने कॉलेज के क्लास स्थगित
कर दिये हैं और लोगों को सुरक्षा प्रदान की जा रही है।
उन्होंने बतलाया कि वृहस्पतिवार
को कॉलेज प्रबंधन ने एक विशेष सभा बुलायी जिसमें कई मुस्लिम नेताओं सहित करीब 6 सौ लोगों
ने हिस्सा लिया। मुस्लिम नेताओं ने लोगों से कहा, "कोई भी आक्रमण की बात - अफ़वाह है
और किसी पर कोई आक्रमण नहीं किया जायेगा।"
मुस्लिम नेताओं ने यह भी कहा कि उन्होंने
अपने स्वयंसेवकों को पूरे शहर में निर्देश दिये हैं कि वे किसी भी प्रकार की हिंसा को
रोकें।
मालूम हो कि शुक्रवार की मुस्लिमों की प्रार्थना सभा की मुख्य विषयवस्तु
थी उत्तर-पूर्वी भारत के लोगों के मन से हमले के भय को निकालना।
उधर नोर्थ ईस्ट
सपोर्ट सेन्टर एंड हेल्पलाईन ने 17 अगस्त को दिये अपने बयान में कहा, "इस प्रकार की अफ़वाहों
के पीछे साप्रदायिक हिन्दुत्व ताकतों का हाथ है।"
उन्होंने कहा कि अफ़वाह फैलाने
में भगत सिंह क्रांति सेना का हाथ हो सकता है। इस दल के सदस्यों ने ही ‘टेक्सट मेसेजेस’
द्वारा इस बात को फैलाया कि मुस्लिम उत्तर-पूर्वी भारतीय पर हमले की तैयारी में हैं।
एसएमएस में लिखा गया था , "बाँगला देश के समर्थको, यदि तुम देश के दूसरे स्थलों
में जो कर रहे हो, वहीं दिल्ली में करोगे तो हम तुम्हारे हाथ-पैर तोड़ देंगे।"
सामाजिक
कार्यकर्ता फादर वाल्टर फर्नान्डेस ने कहा कि ये सारी बातें सिर्फ़ अफ़वाहें थी। उन्होंने
लोगों से अपील की है कि वे शहर छोड़कर न जायें।
मालूम हो कि पिछले दिनों असम
में बोडो और मुस्लिम समुदाय के बीच हिंसा भड़की थी जिसमें 79 लोग मारे गये थे और करीब
4 लाख लोगों को 235 शिविरों में शरण लेनी पड़ी थी।