नई दिल्ली, 11 अगस्त, 2012 (कैथन्यूज़) भारत के ईसाइयों ने दलित ईसाइयों को समान अधिकार
दिये जाने से वंचित रखे जाने का विरोध करते हुए 10 अगस्त शुक्रवार को ‘काला दिवस’ मनाया।
पूरे
देश में दलित ईसाइयों ने काला बिल्ला और झंडा लेकर केन्द्रीय सरकारी कार्योलयों और पोस्ट
ऑफिसों के समक्ष धरना दिया और न्याय की माँग की।
दिल्ली के महाधर्माध्यक्ष विन्सेंट
एम. कोनचेसाव ने दिल्ली के सेक्रेड हार्ट कथीड्रल के प्राँगण में एकत्रित करीब 200 लोगों
को संबोधित करते हुए कहा, " ‘न्याय में देर होना, न्याय से वंचित होना’ है। और अब इसे
बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है।"
विदित हो कि दस दिन पूर्व ही दलित ईसाई और मुस्लिमों
ने दिल्ली में एक विशाल रैली निकाली थी और सरकार से माँग की थी दलित ईसाइयों को बराबरी
का हक दिया जाये।
इस अवसर पर बोलते हुए ‘प्रोटेस्टंट चर्च ऑफ नोर्थ इंडिया’ के
महा सचिव अल्वन मसीह ने कहा "संविधान के सामने सब कोई बराबर हैं और यदि राष्ट्र को प्रगति
करना है तो सभी समुदाय के लोगों का विकास होना चाहिये।"
उन्होंने कहा कि उनकी
आशा है कि दलित ईसाइयों को न्याय प्राप्त होगा।
मालूम हो कि विगत छः दशकों से
ईसाइयों ने दलित ईसाई और मुस्लिमों ने संविधान के तहत् अपने अधिकारों की माँग की है।
भारत के संविधान के अनुसार दलितों को सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थाओं में
आरक्षित जगहों को प्राप्त करने का अधिकार है ताकि उनका सामाजिक और आर्थिक विकास हो सके।
दलित ईसाइयों और मुस्लिमों को इस अधिकार से वंचित कर दिया गया है इस आधार पर
कि उनके धर्मों में जाति प्रथा को मान्यता नहीं दी जाती है।
इस अवसर पर बोलते
हुए सीबीसीआई के न्याय और शांति के लिये बने आयोग की संयोजिका सिस्टर अन्न मोयालन ने
कहा, "हमारी लड़ाई लम्बी है क्योंकि कई ईसाई इस आंदोलन से अनभिज्ञ हैं उन्हें भी इसके
प्रति जागरुक करना है।"
‘काला दिवस’ का आयोजन ‘नैशनल कौंसिल ऑफ ऑल चर्चेस इन
इंडिया’, कैथोलिक बिशप्स कोन्फेरेन्स ऑफ इंडिया तथा नैशनल कौंसिल ऑफ दलित क्रिश्चियन्स
ने एक साथ मिलकर किया था।