लंदन ऑलंपिक में प्रतिबंधित ‘धार्मिक प्रतीक चिह्न’ की वापसी
लंदन, 6 अगस्त, 2012 (एशियान्यूज़) इंगलैंड में श्रम कानून के तहत् धार्मिक प्रतीक चिह्नों
पर प्रतिबंध होने के बावजूद लंदन ऑलंपिक 2012 में धर्म और विश्वास के प्रतीक चिह्नों
का प्रदर्शन अपने जोर पर है। उधर दौड़ाक उसाइन बोल्ट से लेकर साउदी जूदोका वॉज़दान
शाहेरकानी, तो ब्रुनई की प्रथम महिला धाविका मज़ियाह महुसिन और लम्बी दौड़ के विजेता
मुहम्मद महुसन तक ने प्रतियोगिता के पूर्व और पश्चात अपने विश्वास के चिह्नों को प्रकट
किया। उन्होंने बतलाया कि अपने विश्वास के प्रतीक चिह्न को प्रकट करने से उन्हें
शक्ति प्राप्त होती है और इसीलिये उन्होंने अपनी प्रतिस्पर्द्धा में सफल होने के बाद
में अपने विश्वास के प्रतीक चिह्न द्वारा ईश्वर को धन्यवाद दिया। एशियान्युज़ के अनुसार
यदि श्रम कानून को गंभीरतापूर्वक लंदन ऑलंपिक में लागू किया जाता तो उसाइन बोल्ट पदक
पाने वंचित रह जाते, उन्हें अयोग्य करार दिया जाता क्योंकि उन्होंने प्रतियोगिता के पूर्व
ख्रीस्तीय प्रतीक ‘क्रूस का चिह्न’ बनाया था और गले में क्रूस भी पहने रखी थी। विदित
हो कि ब्रिटिश एयरवेस के परिचारिका को इस लिये डाँट मिली थी कि उसने क्रूस पहना था। और
वह अदालत में मुकदमा हार भी गयी थी क्योंकि न्यायधीश ने कहा था कि सार्वजनिक स्थलों में
धार्मिक चिह्न वर्जित है।
उधर सोमाली में जन्में इंगलैंड के धावक 29 वर्षीय मुहमद
फराह ने भी अपनी जीत के बाद स्वतः अल्लाह के प्रति अपनी कृतज्ञता दिखलायी।