मुम्बई, 6 अगस्त, 2012 (कैथन्यूज़) दलितों की दयनीय स्थिति पर बनायी गयी फ़िल्म ‘नॉट
टुडे’ के सह प्रोड्यूसर ब्रेन्ट मार्टज़ का मानना है कि फिल्म से लोग इस बात को जान पायेंगे
कि उन 250 मिलियन में से एक होने का क्या अर्थ है जो इसलिये गुलाम हैं क्योंकि वे अछूत,
बहिष्कृत और अवांछित हैं। मार्ट्ज का मानना है कि इस फ़िल्म से दलितों के प्रति लोगों
में जागरुकता फैलेगी और आधुनिक भारत से इस नयी गुलामी को समाप्त किया जा सकेगा। फ़िल्म
‘नॉट टुडे’ अब तक रिलीज़ नहीं हुई है पर ‘मनाको चैरिटी अन्तरराष्ट्रीय फ़िल्म फेस्टिभल
2012’ में पहले अपनी पहचान बना ली है। इसमें अन्निका नामक दलित लड़की की भूमिका निभाने
वाली पेरसिस कारेन को पहले ही ‘बेस्ट ब्रेकथ्रू परफोरमन्स’ रूप में मान्यता दी गयी है।
जब फ़िल्म की शूटिंग हो रही थी तब वह सिर्फ़ सात साल की थी। ‘नॉट टुडे’ एक ऐसी दलित
लड़की की कहानी है जिसे देह व्यापार में ढकेल दिया जाता है। फ़िल्म के सभी कलाकार अमेरिकी
है विशेष करके ‘ऑक्टुबर बेबी’ के जोन स्नाइडर और टेलेविज़न और फिल्म स्टार कोडी लोंगो।
‘फ्रेंडस चर्च’ नामक संस्था ने फ़िल्म के लिये आर्थिक राशि का योगदान दिया है। मार्ट्ज़
ने बतलाया कि दलितों पर फ़िल्म बनाने की प्रेरणा उन्हें तब मिली जब उन्होंने सन् 2007
में भारत में आयोजित फ़िल्म महोत्सव में हिस्सा लिया। विदित हो भारत की जनता का एक
चौथाई भाग दलितों का है। जाति प्रथा के अन्तर्गत् लोग दलितों को नाचीज़ समझते हैं और
उनके साथ भेदभाव करते और कई बार उन्हें मानव तस्करों का शिकार बनने को मजबूर कर देते
हैँ। यह भी ज्ञात हो कि ‘दलित फ्रीडम नेटवर्क’ के अनुसार भारत में करीब 3 मिलियन
लोग देह-व्यापार से जुड़े हैं जिनमे एक तिहाई बच्चे हैं।