कास्तेल गंदोल्फो, इटली, 1अगस्त, 2012 (सेदोक, वी.आर) बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर
पर संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने रोम से 26 किलोमीटर दूर पूर्व कास्तेल गंदोल्फो में
अवस्थित प्रेरितिक प्रासाद के प्राँगण में एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न
भाषाओं में सम्बोधित किया।
उन्होंने ईताली भाषा में कहा, मेरे अतिप्रिय भाइयो
एवं बहनो, आज की पूजन विधि संत अल्फोंस मरिया दे ‘लिगोरी’ का त्योहार मनाती है जो धर्माध्यक्ष
और कलीसिया के आचार्य थे। उन्होंने रिडेम्पटोरिस्ट धर्मसमाज की स्थापना की। उन्हें कलीसिया
एक विद्वान, नीति ईशशास्त्र विशेज्ञ और ‘कोन्फेसर’ (पापक्षमोचक) रूप में याद करती है।
संत अल्फोंस 18वीं शताब्दी के एक लोकप्रिय संत रहे हैं जिन्हें उनकी सादगी और
पापस्वीकार संस्कार के बारे में उनकी शिक्षा के लिये याद किया जाता है।
उन्होंने
‘जेनसेनवाद’ से प्रभावित होकर पापमोचकों को इस बात के लिये प्रोत्साहन दिया कि वे पापस्वीकार
करने वालों का स्वागत पूरी खुशी से करें और उन्हें ईश्वर पिता का अगाध प्रेम और असीम
दया प्रदान करें।
आज का समारोह हमें इस बात का अवसर देता है कि हम प्रार्थना
संबंधी संत अल्फोंस की शिक्षा का अनुपालन करें जो बहुत ही मूल्यवान और आध्यात्मिक प्रेरणा
से परिपूर्ण है।
सन् 1759 ईस्वी में प्रार्थना करने के तरीकों पर एक महासम्मेलन
हुआ था जिसमें संत अल्फोंस का योगदान अति महत्वपूर्ण रहा। वास्तव में, उन्होंने प्रार्थना
को मुक्ति का एक ऐसा साधन बतलाया है जो ईश्वरीय कृपा ग्रहण करने के लिये अति ज़रूरी है।
संत अल्फोंस के अनुसार प्रार्थना हमें इस बात की याद दिलाता है कि ईश्वर ने हमें
बनाया ताकि हम उसे प्यार करें और उसे अपना पूर्ण जीवन दे दें। पर पाप के कारण कई बार
हम अपने जीवन के लक्ष्य से भटक जाते हैं और जिसे ईश्वर की कृपा ही वापस ला सकती है।
संत
अल्फोंस ने एक विशेष नारा दिया था जिसके अनुसार "जो प्रार्थना करता है मुक्ति प्राप्त
करता है, जो प्रार्थना नहीं करता हैं नष्ट होता है।"
उन्होंने यह भी कहा था कि
‘हम ऐसा नहीं कह सकते हैं हमने प्रार्थना नहीं किया क्योंकि प्रत्येक को प्रार्थना का
वरदान दिया गया है’।
उनका मानना था कि जीवन की हर परिस्थिति में हम और कुछ नहीं
पर प्रार्थना तो अवश्य ही कर सकते हैं, विशेष कर परीक्षा और चुनौतियों के समय।
ऐसे
समय में हमें चाहिये कि हम ईश्वर के दरवाज़े पर दस्तख दें जो अपने लोगों की सदा चिंता
करते हैं।
हम घबराये नहीं पर पूरे विश्वास के साथ अपने निवदेनों को ईश्वर के
चरणों में लायें और विश्वास करें कि हमें यह प्राप्त हो जायेगा।
प्रिय मित्रो,
आज ज़रूरत है न केवल शारीरिक स्वास्थ्य की पर विशेष करके आध्यात्मिक स्वास्थ्य की जिसे
सिर्फ़ प्रभु येसु हमें दे सकते हैं।
आज हमें ज़रूरत है येसु की मुक्तिदायी उपस्थिति
की जो हमारे मानवीय जीवन को अपनी उपस्थिति को खुशियों से भर देंगे। इस सच्चाई को स्वीकार
करने के लिये हमें चाहिये कि हम प्रार्थना करें।
ईश्वर की कृपा से हमें जीवन
के प्रत्येक क्षण में सत्य के पहचान पायेंगे जो हमारी इच्छा शक्ति को मजबूत करेगा ताकि
हम उसकी अच्छाई को अपने जीवन में लागू कर पायेंगे।
येसु के शिष्यों के जीवन में
प्रलोभन सदा आते रहेंगे पर उन्हें चाहिये कि सदा प्रार्थना करें ताकि वे उन पर विजय प्राप्त
कर सकें। संत अल्फोंस हमें संत फिलिप बैल्क का उदाहरण देते हैं जो सुबह उठते ही ईश्वर
से प्रार्थना करती थी और कहती थी "प्रभु आप फिलिप का हाथ पकड़ लीजिये नहीं तो फिलिप
आपसे झूठ बोलेगी।
आज हम भी फिलिप के समान अपने गलतियों के प्रति सचेत हो जायें
और नम्रतापूर्वक ईश्वर की सहायता माँगे और इस बात पर विश्वास करें कि ईश्वर दयालु हैं।
संत अल्फोंस कहा करते थे, " हम ग़रीब है पर क्या होता अगर हम गरीब न होते। हम
गरीब है पर तो ईश्वर धनी हैं।"
उन्होंने सब ईसाइयों को इस बात के लिये आमंत्रित
किया है कि हम ईश्वर से न डरें क्योंकि ईश्वर उन सबों की मदद करते हैं जो नम्रतापूर्वक
ईश्वर से निवेदन करते हैं।
आज संत अल्फोंस हमें इस बात की याद दिलाते हैं कि
ईश्वर से हमारा संबंध होना अनिवार्य है और जो तब ही संभव है जब हम संस्कारों में हिस्सा
लेते और व्यक्तिगत प्रार्थना करते हैं।
ऐसा होने से हम ईश्वर की दिव्य उपस्थिति
में जीवन जीते हैं जो हमारे जीवन को सुरक्षित करता और विभिन्न विपत्ति काल में भी हमें
सुरक्षित रखता है। हम संत अल्फोंस की मध्यस्थता से इस बात को जान सकें कि ईश्वर हमें
बचाता है और हमें कृपाओं से परिपूर्ण कर देता है।
इतना कहकर संत पापा ने अपनी
धर्मशिक्षा समाप्त की। उन्होंने ‘डॉटर ऑफ मेरी ईम्माकुलेट, ‘द सर्वन्टस ऑफ मेरी ऑफ
सोरोस’ और ‘कटेकिस्ट सिस्टर्स ऑफ़ द सेक्रेड हार्ट’ धर्मबहनों को अपनी अपनी शुभकानायें
दी तथा युवाओं, बीमारों और नवविवाहितों के लिये प्रार्थना की।
उन्होंने देश-विदेश
से एकत्रित तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों एवं उनके परिवार के सभी सदस्यों पर प्रभु की
कृपा तथा शांति की कामना करते हुए सबों को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।