नई दिल्लीः नाबालिग शादी को अमान्य घोषित करवा सकते हैं, अदालत
नई दिल्ली, 30 जुलाई सन् 2012 (ऊका समाचार): दिल्ली उच्च न्यायालय ने फैसला दिया है कि
एक नाबालिग लड़की, 20 वर्ष की उम्र पार करने के बाद, अपनी शादी को रद्द घोषित करना सकती
है। कार्यवाहक चीफ जस्टिस ए.के. सीकरी की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने कहा,
"हमारा मत है कि चूँकि शादी रद्द नहीं हुई है, यह स्वाभाविक है कि पति नाबालिग लड़की
की देखभाल का हकदार है।" नाबालिग फैसला लेने की विवेकी उम्र तक पहुँच चुकी है
अथवा नहीं तथा क्या वह माता पिता के वैध संरक्षण का परित्याग कर अलग हो सकती है? इन सवालों
के उत्तर में अदालत ने यह फैसला दिया। अदालत ने यह भी कहा कि नाबालिग लड़की के पति
को 20 साल की उम्र तक उसकी देखभाल का हक है किन्तु तब तक वह उसके साथ सहवास नहीं कर सकता।
अदालत ने प्रश्न किया कि "अगर इस बीच नाबालिग की सहमति के बिना सहवास हो जाता है
जो गर्भावस्था एवं सन्तान जनने तक जा सकता है तो नाबालिग किस तरह अपना अधिकार प्राप्त
कर पायेगी। उच्च न्यायालय ने खंडपीठ के उस सवाल का भी जवाब दिया जिसमें पूछा गया
था कि 18 वर्ष की लड़की तथा 21 वर्ष के लड़के का विवाह वैध है अथवा नहीं? और यदि पति
जेल में नहीं है तो क्या उसे लड़की की देखभाल का कार्यभार सौंपा जा सकता है। अदालत
ने कहा कि यदि विवाहित दम्पत्ति वयस्क होने से पहले अदालत का दरवाज़ा खटखटायें तो एक
नाबालिग लड़की व लड़के के बीच विवाह को अवैध घोषित किया जा सकता।