गुवाहाटी, 30 जुलाई, 2012 (कैथन्यूज़) नैशनल कौंसिल ऑफ़ चर्चेस इन इंडिया (एनसीसीआई)
ने असम में हुई हिंसा को रोक नहीं पाने के लिये राज्य सरकार पर ‘राजनीतिक संकल्प’ के
अभाव होने का आरोप लगाया है। कौंसिल सदस्यों ने कहा कि असम ‘त्रासदी’ को टाला जा
सकता था यदि सरकार सभी स्तर पर प्रवासियों पर नियंत्रण करती। एनसीसीआई के महासचिव
रोजन गायवाड ने कहा कि, "सरकार को चाहिये के पूरी राजनीतिक इच्छा शक्ति से प्रवासियों
के घुसपैठ को रोके।" महासचिव ने गृहमंत्री पी. चिदंबरम को शनिवार को लिखे एक पत्र
में कहा कि प्रवासियों ने असम के करीब 10 हज़ार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में कब्ज़ा जमा
लिया है और अन्य जिलों की ओर भी फैल रहे हैं। उन्होंने कहा, "प्रवासियों की संख्या
में लगातार वृद्धि से स्थानीय आदिवासी असुरक्षित महसूस कर रहे हैं और इसका विरोध करने
को मजबूर हैं।" विदित हो कि बोडोलैंड क्षेत्र में बोडो आदिवासियों ने वर्षों से बाँगला
देश और पश्चिमी बंगाल के अप्रवासी मुसलमानों का विरोध किया है। गायवाड ने इस बात
की भी चिंता व्यक्त की राजनीतिक नेताओं ने इस प्रकार के पूर्व संकेतों को गंभीरता से
नहीं लिया। उधर, अंतर कलीसियाई शांति मिशन (आईसीपीएम) ने असम में हुई हिंसा की कड़ी
निन्दा की है और एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि सरकार हिंसा से प्रभावित तीन जिलों
के राहत शिविरों में भोजन दवाई की आपूर्ति करे। इसके अभाव में शिविरों में रहने वाले
हज़ारों लोगों की हालत दयनीय हो जायेगी। शांति मिशन के सदस्यों ने आशा व्यक्त की है
कि वे अन्य स्वयंसेवी संगठनों के साथ मिलकर शांति और सद्भावना की बहाली के लिये कार्य
करेंगे।