मुम्बईः कार्डिनल ग्रेशियस ने नये राष्ट्रपति को दी बधाई
मुम्बई, 24 जुलाई सन् 2012 (एशियान्यूज़): भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष
कार्डिनल ऑसवल्ड ग्रेशियस ने भारत के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को हार्दिक
बधाईयाँ दी हैं। भारत के 13 वें राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को लिखे बधाई सन्देश में
कार्डिनल ग्रेशियस ने देश में काथलिक कलीसिया के मिशन के मुख्य बिन्दुओं की ओर ध्यान
आकर्षित कराया तथा देश के निर्माण में कलीसिया एवं भारत सरकार के बीच जारी सहयोग को नवीकृत
करने का आमंत्रण दिया। कार्डिनल महोदय ने स्मरण कराया कि "भारतीय काथलिक कलीसिया
सम्पूर्ण देश में निर्धनों के हित में कार्य करती रही है। उन्होंने लिखा, "शिक्षा के
क्षेत्र में हमारा अथक परिश्रम एवं निःस्वार्थ सेवा विशेष रूप से निर्धनों गाँवों में
सनम्पादित की जाती रही हैं जहाँ लगभग 60 प्रतिशत काथलिक स्कूल हैं।" उन्होंने कहा
कि कलीसियाई स्कूलों ने, विशेष रूप से, गाँव की लड़कियों को शिक्षा मुहैया कराने, तथा
महिलाओं की भूमिका को सशक्त बनाने पर ध्यान केन्द्रित किया है तथा युवाओं में यह विश्वास
जगाया है कि निर्धन से निर्धनतम लोग भी प्रतिष्ठापूर्ण जीवन यापन कर सकते हैं। कार्डिनल
महोदय ने कहा कि शिक्षा के अलावा, "काथलिक कलीसिया ने चिकित्सा एवं अन्य लोकोपकारी क्षेत्रों
में भी भारत के लोगों की सेवा की है। उन्होंने कहा कि कलीसिया मानव जीवन की पवित्रता
पर बल देती है इसीलिये हम प्रार्थना करते हैं कि हमारे प्रिय देश में जीवन की संस्कृति
को प्रोत्साहन मिले जहाँ नारी भ्रूण हत्या तथा नारी हत्या पूर्णतः समाप्त हो तथा अजन्में
शिशु और, विशेष रूप से, अजन्मी बच्चियों की रक्षा हो सके तथा उनके जन्म का समारोह मनाया
जाये।" उन्होंने स्मरण दिलाया कि काथलिक कलीसिया भारत में अपने 788 अस्पतालों तथा
सैकड़ों चिकित्सालयों एवं मानसिक स्वास्थ्य केन्द्रों, कुष्ठ रोगियों एनं एड्स पीड़ितों
के सेवा हेतु निर्मित केन्द्रों द्वारा, जाति और धर्म का भेदभाव किये बिना, भारत के सभी
लोगों की सेवा कर रही है। उन्होंने लिका, "विकास एवं सामाजिक योजनाओं में भी कलीसिया
संलग्न है। साथ ही विभिन्न धर्मों के बीच सदभान एवं सम्भाव को स्थापित करने के लिये वह
कार्यरत है ताकि मैत्री, न्याय एवं शांति पर आधारित भारतीय समाज की रचना सम्भव हो सके।"
अन्त में कार्डिनल ग्रेशियस ने प्रार्थना की कि राष्ट्रपति मुखर्जी के कार्यकाल में
भारत सार्वजनिक जीवन में अखण्डता के साथ साथ, जीवन, शांति, मैत्री और वार्ता के मूल्यों
में मज़बूत हो सकेगा।