2012-07-19 15:44:31

प्राधिधर्माध्यक्ष की आशा संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें की लेबनान यात्रा सीरिया में शांति लायेगी


रोम इटली 18 जुलाई 2012 (सीएनए) मेल्काइत ग्रीक काथलिक चर्च के प्राधिधर्माध्यक्ष ग्रेगोरियोस तृतीय ने कहा उनकी आशा है कि संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें की सितम्बर माह में सम्पन्न होनेवाली लेबनान की यात्रा सीरिया में शांति और मेलमिलाप लायेगी। उन्होंने फीदेस समाचार सेवा को भेजे गये एक वक्तव्य में कहा कि सीरियावासियों को संत पापा के समर्थन की जरूरत है और संत पापा की आगामी यात्रा सीरिया के लिए विशेष सहायता होगी ताकि संघर्ष समाप्त हो और देश में समृद्धि आये। इसके लिए हम मध्य पूर्व और विश्व भर के ईसाई बंधुओं से सहायता करने का आग्रह करते हैं।
प्राधिधर्माध्यक्ष ग्रेगोरियोस ने लोगों के मध्य वार्ता और मेलमिलाप को बढ़ावा देने के लिए चर्च के समर्पण की पुर्नपुष्टि की। उन्होंने सीरिया में चर्चों के मेषपालों के खिलाफ अभियान को खारिज किया जिनपर सत्ता के साथ सहयोग करने का आरोप लगाया जा रहा है। उन्होंने मेषपालों की निष्ठा, पारदर्शिता और वस्तुनिष्ठता पर जोर देते हुए कहा कि वे पुरोहितों, मठवासियों, धर्मबहनों और लोकधर्मियों के साथ सतत सम्पर्क में हैं। वे संवाद और मेलमिलाप का प्रसार करने तथा हिंसा को खारिज़ करने का आह्वान कर रहे हैं। वे सतत संघर्ष के मध्य नागरिकों की सुरक्षा के लिए काम कर रहे ताकि वे खतरों या विभिन्न समूह के हमलों का लक्ष्य नहीं बनें।
प्राधिधर्माध्यक्ष ग्रेगोरियोस तृतीय ने कहा कि सीरिया में ईसाईयों और मुसलमानों के मध्य संघर्ष नहीं है ! हिंसा का शिकार होनेवाले लोग हर धर्म के नागरिक हैं जो अव्यवस्था, असुरक्षा तथा शस्त्र व्यापार के कारण बढ़ रही हिंसा का सामना कर रहे हैं। ख्रीस्तीयों के भी सामने वही खतरा है लेकिन वे सबसे कमजोर लिंक हैं। बेबस, अत्याचार, फिरौती, अपहरण और दुरूपयोग का सबसे आसान शिकार होनेवाले हैं। इन सबके बावजूद ईसाईयों और मुसलमानों के मध्य संघर्ष नहीं है वे अव्यवस्था और सुरक्षा की कमी के शिकार हैं।
सीरिया के काथलिकों ने देश में सुधार, स्वतंत्रता, लोकतंत्र, विकास और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के समर्थन में तथा भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की है। आज हम हत्या और विनाश के तक्र को रोकने की अपील कर रहे जिसके शिकार हर धर्म के नागरिक हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि चर्च ने हमेशा से संकीर्णवाद को खारिज किया है तथा बिना पक्षपात केवल नैतिक और सुसमाचारी मूल्यों की ही ओर इंगित किया है।








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