संगमा के विरुद्ध हो रहा दुष्प्रचार युद्ध ‘दुर्भाग्यपूर्ण’
नई दिल्ली, 16 जुलाई, 2012 (कैथन्यूज़) राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी पूर्व लोकसभा स्पीकर
आदिवासी नेता पी.ए. संगमा का समर्थन करते हुए ‘पुवर क्रिश्चियन लिबरेशन मूवमेंट’ (पीसीएलएम)
ने उनके विरुद्ध हो रहे दुष्प्रचार की कड़ी आलोचना की है। पीसीएलएम के अध्यक्ष आर
एल फ्रांसिस न कहा, "संगमा के विरुद्ध हो रहा दुष्प्रचार युद्ध ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ है।"
विदित हो कि संघ परिवार द्वारा अपने को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाये जाने के
बाद संगमा ने ओडिशा में सन् 2008 के ईसाई विरोधी हिंसा में संघ परिवार का हाथ होने को
अस्वीकार किया था। संगमा के उस बयान पर ईसाई समुदाय के कुछ लोगों की ओर से तीखी प्रतिक्रिया
हुई थी। फ्रांसिस का मानना है कि स्वार्थसिद्धि के लिये कुछ ईसाई, हिन्दुओं और ईसाइयों
के बीच बैरता बनाये रखना चाहते हैं और वे लगातार आरएसएस और बीजेपी पर आक्रमण करते हैं।
उन्होंने यह भी कहा,"जब ऑडिशा काँड पर सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय सुनाया तो आरएसएस
और बीजेपी की भूमिका पर कोई नकारात्मक टिप्पणी नहीं की।" "सरकार ने जो जाँच आयोग
बनाया था उसने यही कहा कि हिंसा का कारण अनुसूचित जाति के धर्मांतरण और कंध आदिवासियों
के बीच का मामला था।" फ्रांसिस ने इस बात की भी याद दिलायी कि गोवा में हाल के चुनाव
में भी अधिकतर ईसाइयों ने बीजेपी का साथ दिया था। उन्होंने कहा,"आदिवासी नेता संगमा
के उम्मीदवारी से पूरे देश के लोग गर्व महसूस कर रहे हैं इसलिये ईसाई नेताओं को चाहिये
कि ‘दुष्प्रचार अभियान’ बन्द करें।