दमिश्क सीरिया 12 जुलाई 2012 (बीबीसी, एसआईआऱ) बीबीसी समाचार सेवा के एक समाचार में
बताया गया कि सीरिया में विपक्षी कार्यकर्ताओं का दावा है कि केंद्रीय प्रांत हमा में
सरकार समर्थक सुरक्षा बलों ने गुरूवार को जनसंहार को अंजाम दिया है जिसमें कम से कम 200
लोगों की मौत हो गई है. हमा प्रांत के त्रेमसहि गाँव में मौजूद विद्रोही नेताओं की काउंसिल
का समाचार एजेंसी रॉयटर्स का कहना है कि गांव में मारे गए लोगों में से ज्यादातर आम शहरी
थे. दमिश्क, इदलीब और हमा से भी विद्रोहियों के खिलाफ हमलों की खबरें हैं. विपक्ष ने
प्रत्यक्षदर्शियों के हवाले से कहा है कि त्रेमसेह गांव पर होलिकॉप्टरों और तोपों से
बमवर्षा की गई. उनका कहना था कि सरकार समर्थित मिलिशिया 'शाबीहा लड़ाकुओं' ने गांव में
दाखिल होकर अंधाधुंध गोलीबारी की और लोगों को गला रेतकर मारा. हालांकि सरकारी मीडिया
का कहना है कि जनसंहार "आतंकवादी गुटों" का कारनामा है, जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद
की बैठक के पहले तनाव पैदा करने के इरादे से की गई है. पश्चिमी देशों ने सीरिया से हाल
में ही कहा है कि वो आम लोगों के खिलाफ खूनी कार्रवाई बंद करे वरन उसपर आर्थिक प्रतिबंध
लगा दिए जाएंगे. सीरिया की राजधानी दमिश्क स्थिति संत पौल के मनपरिवर्तन को समर्पित
प्रार्थनालय के रेक्टर तथा तब्बालेह के एक्यूमेनिकल सेन्टरके निदेशक फादर रोमुआल्दो फेरनान्डेज
ने अपील करते हुए कहा है कि सीरिया को हथियारों की नहीं लेकिन संवाद की जरूरत है। फीदेस
समाचार सेवा को दिये एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि संकट में से निकलने का मुख्य
रास्ता विभिन्न दलों के मध्य संवाद है।हम सबलोगों से आग्रह करते हैं कि मीटिंग करने के
लिए बैठें तथा बातचीत शुरू करें ताकि हिंसा, मौत, नरसंहार और अन्य प्रकार के विनाश से
बच सकें जिनके कारण देश में बहुत समय से रक्तपात हो रहा है। हमा में हाल में हुए नरसंहार
पर उन्होंने कहा कि यह त्रासदी है कि जो सूचनाएं मिल रही हैं वे भ्रमित कर रही हैं लेकिन
पहला शिकार सत्य है। उन्होंने कहा कि यदि विदेशी ताकतें हथियारों की सप्लाई करती रहेंगी
तथा संघर्षरत पार्टियों को धन मुहैया कराती रहेंगी तो युद्ध चलता रहेगा और हो रहे विनाश
और हानि में वृद्धि होती रहेगी। यह शांति का रास्ता नहीं है शांति का रास्ता संवाद है।
ईसाई के रूप में फादर फेरनान्देज ने कहा कि किसी भी धर्म के हों हम सब बंधुओं का आलिंगन
करते हैं। हम पीडित जनता के पक्ष में हैं वे ईसाई या मुसलमान हों और हम कदापि इस देश
को नहीं छोड़ेंगे। हम सीरिया में ही रहेंगे ताकि सुसमाचार की सेवा करें। हम कल यहाँ थे
आज हैं और कल भी रहेंगे। मार्च 2011 से राष्ट्रपति बशर अल-असद की सरकार के खिलाफ
शुरू हुए विद्रोह में तकरीबन 16,000 लोगों की मौत हो चुकी है.