एशिया के धर्माध्यक्षों द्वारा हिंसा, युद्ध और शस्त्र व्यापार को रोकने की अपील
बैंकाक 12 जुलाई 2012 (फीदेस) एशिया के धर्माध्यक्षों ने एशिया के विभिन्न प्रांतों
में होनेवाले युद्धों और संघर्षों को समाप्त करने, विश्व शांति के लिए संस्थानों के समर्पण
को बढाने तथा हथियारों की तस्करी पर रोक लगाने की विश्व के नेताओं से अपील की है। एशियाई
धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों के संघ एफएबीसी के तहत मानव विकास विभाग के सचिव फादर नित्य
सगायम ने फीदेस समाचार सेवा को दिये रिपोर्ट में कहा कि संत पापा जोन तेईसवें के विश्वपत्र
पाचेम इन तेरिस की 50 वीं वर्षगाँठ तथा संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा समर्थित निरस्त्रीकरण
सप्ताह को देखते हुए एफएबीसी कार्यालय द्वारा आरम्भ पहल को धर्माध्यक्षों ने समर्थन दिया
है। अनेक देश शस्त्र व्यापार पर तैयार संधि पर हस्ताक्षर करने की तैयारी कर रहे हैं ताकि
हथियारों के उत्पादन और व्यापार को सीमित करते हुए हथियारों के प्रसार पर निगरानी की
जा सके। फीदेस समाचार सेवा को भेजी गयी अपील में एशिया के अनेक धार्मिक नेताओं, दो
कार्डिनलों, 20 महाधर्माध्यक्षों, 10 धर्माध्यक्षों सहित विभिन्न धर्मों के लगभग 5 हजार
प्रतिनिधि शामिल हैं। यह अपील संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव बान की मून को सौंपी गयी
है। जिसमें विश्व के नेताओं ने आग्रह किया गया है कि वे निरशस्त्रीकरण द्वारा शांति
और समन्वयता की स्थापना के लिए काम करें एवं शस्त्र व्यापार पर नियंत्रण संबंधी संधि
को स्वीकृति प्रदान करें। कहा गया है कि हर हथियार जिसका उत्पादन किया जाता है वह उनके
खिलाफ चोरी है जो भूखे हैं। विश्व भर में शस्त्र उत्पादन का टर्नओवर प्रतिवर्ष 1 हजार
बिलियन डालर है। यह गंभीर और व्यापक स्तर पर मानवाधिकारों के हनन का प्रमुख कारण है।
कुछ सरकारें समाज विकास, स्वास्थ्य और चिकित्सा सेवा तथा संचारण संरचनात्मक निर्माण कार्यों
पर होनेवाले खर्च से कहीं अधिक धन सैन्य खर्चों पर व्यय करते हैं । धर्माध्यक्षों
ने इंगित किया है कि हथियार व्यापार संबंधी संधि से हथियारों के उत्पादन और व्यापार पर
नियंत्रण के उपाय हो सकेंगे और विभिन्न देशों के मध्य जिम्मेदारीपूर्ण सहयोग से शांति
की यथार्थ संस्कृति का प्रसार करने में महत्वपूर्ण योगदान मिलेगा। शस्त्र व्यापार से
युद्ध को बढावा मिलता है, अस्थायित्व और संघर्ष उत्पन्न होते हैं तथा मानव विकास की योजनाओं
को पूरा करने में विलम्ब होता है। उन्होंने कहा कि निरस्त्रीकरण का अंतिम लक्ष्य हिंसा,
मौत और जनसंहार रोकना होना चाहिए।