2012-07-10 12:19:02

रोमः नेमी में सम्पन्न द्वितीय वाटिकन महासभा के कार्यशिविर को बेनेडिक्ट 16 वें ने किया याद


रोम, 10 जुलाई सन् 2012 (सेदोक): रोम शहर के परिसर में नेमी झील के तट स्थित दिव्य शब्द धर्मसमाज के अन्तरराष्ट्रीय मिशन केन्द्र की भेंट कर, सोमवार को सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने सन् 1965 में इसी केन्द्र में सम्पन्न द्वितीय वाटिकन महासभा के कार्यशिविर को याद किया। 47 वर्ष पूर्व विश्व में सुसमाचार प्रचार मिशन पर नेमी में सम्पन्न द्वितीय वाटिकन महासभा के छः दिवसीय कार्यशिविर में सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने भी भाग लिया था। उस समय वे एक युवा ईशशास्त्री जोसफ राटसिंगर थे।
सोमवार को नेमी स्थित दिव्य शब्द धर्मसमाज के "आद जेनतेस" केन्द्र की सन्त पापा ने भेंट की तथा यहाँ जारी धर्मसमाज की आमसभा में भाग लेनेवाले 70 देशों के लगभग 150 धर्मसमाजी पुरोहितों से मुलाकात कर उन्हें अपना आशीर्वाद प्रदान किया। इस अवसर पर सन्त पापा ने कहा कि 47 वर्षों बाद पुनः दिव्य शब्द धर्मसमाज के मिशन केन्द्र की भेंट करना उनके लिये एक सुखद अवसर था।
उन्होंने कहा, "47 वर्ष बाद एक बार फिर नेमी के इस केन्द्र में आने का सुअवसर पाना मेरे लिये सचमुच हर्ष की बात है। इस घर से मेरी सुखद स्मृतियाँ जुड़ी हैं जो मेरे लिये द्वितीय वाटिकन महासभा की सर्वाधिक सुखदायी यादें हैं। रोम शहर की चहल पहल के बाद हरित वृक्षों से घिरे इस वातावरण में रहना तथा ताज़ी हवा में श्वास लेना अपने आप में आनन्ददायक था।"
उन्होंने कहा, "ऐसे सुखद वातावरण में अन्य ईशशास्त्रियों के साथ मिलकर कलीसिया के मिशन पर एक आज्ञप्ति तैयार करना एक महत्वपूर्ण एवं अति सुन्दर अनुभव रहा।"
सन्त पापा ने याद किया कि सन् 1965 की 29 मार्च से 03 अप्रैल तक जारी उस कार्यशिविर में दिव्य शब्द धर्मसमाज के तत्कालीन धर्मसमाज अध्यक्ष फादर शुटे भी उपस्थित थे जिन्हें विश्वास के ख़ातिर चीन में उत्पीड़ित किया गया था तथा देश से निकाल दिया गया था।
सन्त पापा ने कहा कि फादर शुटे मिशनरी उत्साह से परिपूर्ण थे जो कार्यशिविर के अन्य सदस्यों के लिये प्रेरणा के स्रोत रहे। उन्होंने याद किया कि कार्यशिविर के सदस्यों में रेडियो एवं टेलेविज़न वक्ता फादर फुलटन शीन भी शामिल थे जिन्होंने कलीसियाई मिशन के लिये सम्प्रेषण माध्यम के महत्व पर सदस्यों को आलोक प्रदान किया था। सन्त पापा ने कहा कि इन दिग्गज एवं प्रतिभाशाली व्यक्तियों के साथ उन्होंने आध्यात्मिक समृद्धि प्राप्त की जो उनके लिये एक महान वरदान सिद्ध हुआ है।








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