समुद्री श्रमिकों को पूर्ण सुरक्षा और उचित कार्य वातावरण
वाटिकन सिटी, 9 जुलाई, 2012 (वीआर, अँग्रेज़ी) प्रवासियों और भ्रमणकारियों की मेषपालीय
देख-रेख के लिये बनी परमधर्मपीठीय परिषद् ने 8 जुलाई को समुद्र दिवस के अवसर पर जारी
अपने संदेश में कहा है कि समुद्र में कार्यरत और उनके परिवार के सदस्य ईश्वर और कलीसिया
की आँखों से छिपे नहीं हैं।
कलीसिया उनकी कठिनाइयों को जानती है और उनके लिये
विगत 90 सालों से चैपलिन और स्वयंसेवकों का प्रबन्ध करती रही है।
समुद्र में
कार्य करने वालों के लिये बनी परमधर्मपीठीय परिषद् के अध्यक्ष कार्डिनल अंतोनियो मरिया
ने उक्त बात उस समय कही जब उन्होंने 8 जुलाई को ‘समुद्र द्विवस’ के अवसर पर अपने संदेश
प्रकाशित किये।
उन्होंने कहा सर्वप्रथम लोगों को चाहिये कि वे इस बात की मान्यता
दें कि समुद्र में कार्यरत भी मानव प्राणी है जो हमारे जीवन की आरामदेह बनाने के लिये
अपने जीवन का बलिदान करते हैं।
उन्होंने कहा कि इस बात को ध्यान दिया जाना चाहिये
कि समुद्र में कार्यरत लोग समाज के लिये योग्य प्राप्त श्रमिक हैं जो समुद्री डाकुओं
और अप्रत्याशित मौसम के खतरों में खुद को डालकर समाज के हित के लिये कार्य करते हैं।
उन्होंने
कहा कि समुद्र में कार्यरत लोग अकेले अपने परिवार से दूर,पारिश्रमिक की अनिश्चितता और
रंगभेद, विश्वास और राष्ट्र की भिन्नता और समुद्री अपराधों के शिकार होते हुए भी ईश्वर
पर पूरी आस्था रखते हैं और समाज के लिये कार्य करते हैं।
कार्डिनल ने माँग की
है कि मरिटाइम लेबर कन्वेन्शन 2006 के प्रस्तावों का स्वीकार किया जाये और करीब 1.2 मिलियन
लोगों को पूर्ण सुरक्षा और उचित कार्य वातावरण प्रदान किया जाये।
कार्डिनल ने
कहा कि उनकी प्रार्थना है कि ‘स्तेल्ला मारिस’ अर्थात् सागर का तारा कुँवारी माँ मरियम
उनकी रक्षा करें और ईश्वर के पथ में आगे बढ़ने में उनकी मदद करें।