2012-07-09 16:20:20

देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा द्वारा दिया गया संदेश


वाटिकन सिटी 2 जुलाई 2012 (सेदोक एशिया न्यूज)
श्रोताओ संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने रविवार 8 जुलाई को कास्तेल गांदोल्फो स्थित ग्रीष्मकालीन प्रेरितिक प्रासाद के प्रांगण में उपस्थित लगभग 3 हजार विश्वासियों, पर्यटकों और तीर्थयात्रियों के साथ देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया। इससे पूर्व उन्होंने इताली भाषा में सम्बोधित करते हुए कहा-
अतिप्रिय भाईयो और बहनो,
इस रविवार के सुसमाचार पाठ पर मैं संक्षिप्त रूप से कहूँगा जिसमें प्रसिद्ध वाक्य कहा गया है- अपने नगर, अपने कुटुम्ब और अपने घर में नबी का आदर नहीं होता। वस्तुतः लगभग 30 वर्षों तक रहने और कुछ समय तक नाज़रेथ से बाहर रहने के बाद ईसा उपदेश देते और लोगों को चंगा करने के बाद अपने नगर आये और सभागृह में शिक्षा देने लगे। बहुत से लोग जो उन्हें सुन रहे थे अचम्भे में पडकर कहते थे- क्या यह वही बढ़ई नहीं है, मरियम का बेटा, क्या हमारे बीच नहीं रहा है और वे ईसा में विश्वास नहीं कर सके, विश्वासपूर्वक उनका स्वागत करने के बदले में वे रूष्ट हुए।
यह तथ्य समझ में आने योग्य है क्योंकि घनिष्ठता या अति परिचय होना मानवीय स्तर पर कठिन बनाती है कि परे जाएँ और आध्यात्मिक आयाम के लिए खोलें। बढ़ई का बेटा , ईश पुत्र उनके लिए विश्वास करना मुश्किल था। येसु स्वयं अपने अनुभव को इस्राएल के नबियों के उदाहरण के साथ लाते हैं जो अपने ही घरों और नगरों में उपेक्षा निन्दा का लक्ष्य थे और उनके साथ स्वयं को रखते हैं। आध्यात्मिक बंदी के कारण नाज़रेथ के येसु वहाँ कोई चमत्कार नहीं कर सके केवल थोड़े से रोगियों पर हाथ रखकर उन्हें अच्छा किया। वस्तुतः ख्रीस्त के द्वारा किये गये चमत्कार शक्ति या ताकत का प्रदर्शन नहीं है लेकिन ईश्वर के प्रेम के चिह्न हैं। और यह चमत्कार होता है जहाँ विश्वास और व्यक्ति परस्पर मिलते हैं। ओरिजेन लिखते हैं- जैसा कि कणों में एक दूसरे के लिए स्वाभाविक आकर्षण है, लोहा चुम्बक की ओर आकर्षित होता है उसी प्रकार विश्वास, दिव्य शक्ति की ओर आकर्षण पैदा करता है।

इसलिए यह प्रतीत होता है कि येसु स्वीकार करते हैं नाजरेथ में उन्हें कम स्वीकृति मिली। कथा के अंत में हम यह पर्यवेक्षण पाते हैं सुसमाचार लेखक लिखते हैं कि लोगों के अविश्वास पर ईसा को बड़ा आश्चर्य हुआ। नगरवासियों के आश्चर्य के साथ ही जो अपकीर्ति महसूस करते हैं वे स्वयं येसु भी महसूस करते हैं। यह जानते हुए भी कि अपनी मातृभूमि में किसी नबी को स्वीकार नहीं किया जाता है। अपने लोगों के दिलों का बंद होना उनके लिए अस्पष्ट तथा अनुर्वर रहा, उन्होंने कैसे सत्य की ज्योति को नहीं पहचाना ? हमारी मानवता में सहभागी होने की चाह रखनेवाले ईश्वर की भलाई के लिए वे क्यों खुले नहीं हैं ?
वस्तुतः नाज़रेथ के येसु ईश्वर की पारदर्शिता हैं, ईश्वर जो उन्में पूर्ण रूप से रहते हैं। और हम जो अन्य चिह्नों, अन्य आश्चर्यकर्मों को देखने का प्रयास करते हैं यह नहीं पहचान पाते हैं कि वे सच्चे चिह्न हैं, ईश्वर ने देहधारण किया, वे ब्रहमांड का सबसे बड़ा चमत्कार हैं। ईश्वर का सम्पूर्ण प्रेम एक मानवीय ह्दय, एक व्यक्ति के चेहरे में छिपा है। इस सच्चाई को वस्तुतः धन्य कुँवारी मरियम ने समझा क्योंकि उन्होंने विश्वास किया। मरिया को अपने बेटे के कारण अचम्भा या धक्का नहीं लगा। उन्हें देखते हुए वे विश्वास, प्यार और खुशी से भरी हैं जो मानवीय हैं और दिव्य हैं। विश्वास में हमारी माँ, माता मरियम से हम सीखते हैं कि येसु की मानवता को पहचानें जो ईश्वर की पूर्ण प्रकाशना हैं।

इतना कहने के बाद संत पापा ने देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया और सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।








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