रोमः याद वाशेम ने बदला पियुस 12 वें का विरोध करनेवाला फलक
रोम, 03 जुलाई सन् 2012 (ज़ेनित): जैरूसालेम स्थित नाज़ी नरसंहार संग्रहालय "याद वाशेम"
के प्रबन्धकर्त्ताओं ने उस फलक को बदल दिया है जिसमें सन्त पापा पियुस 12 वें की आलोचना
की गई थी। पूर्व फलक के मूलपाठ में सन्त पापा पियुस 12 वें को नाज़ी नरसंहार का मूकदर्शक
बताया गया था जिससे सन् 2007 में राजनयिक वाद विवाद उत्पन्न हो गया था। पूर्व फलक
के मूलपाठ का विरोध करते हुए इसराएल में परमधर्मपीठ के राजदूत महाधर्माध्यक्ष अन्तोनियो
फ्राँको ने नाज़ी नरसंहार के स्मृति दिवस पर आयोजित समारोहों में भाग लेने से इनकार कर
दिया था। सन्त पापा पियुस 12 वें की धन्य घोषणा पर काम करनेवाले इतिहासकार फादर पीटर
गुम्पल ने स्मरण दिलाया कि नाज़ी नरसंहार "शोआ" के महान इतिहासकार, यहूदी विद्धान सर
मार्टिन गिलबर्ट ने भी, सन्त पापा पियुस 12 वें विरोधी, मूलपाठ को हटाये जाने का मांग
की थी। विवादास्पद मूलपाठ में लिखा था कि प्रभु सेवक सन्त पापा पियुस 12 वें ने जातिवाद
एवं सामीवाद विरोधी विचारों का खण्डन नहीं किया था, यहूदियों के विरुद्ध नाज़ियों की
कारर्वाई के विरुद्ध आवाज़ नहीं उठाई थी तथा जब यहूदियों को रोम से निष्कासित किया जा
रहा था तब वे एक मूकदर्शक बने रहे थे। इसके विपरीत, बदले हुए फलक में कहा गया है
कि सन् 1942 ई. के रेडियो सन्देश में सन्त पापा पियुस 12 वें ने उन लोगों के प्रति गहन
सहानुभूति का प्रदर्शन किया था जो केवल राष्ट्रीयता तथा भिन्न जाति के होने के कारण सताये
जा रहे थे अथवा मौत के घाट उतारे जा रहे थे। नये मूलपाठ में यह भी कहा गया है कि
काथलिक कलीसिया ने यहूदियों को बचाने के लिये कई पहलों को अनजाम दिया था। इनमें, यहूदियों
को बचाने हेतु सन्त पापा पियुस 12 वें के व्यक्तिगत प्रयासों को भी मान्यता दी गई है।
"याद वाशेम" संग्रहालय के उक्त फलक के मूलपाठ में बदलाव का समाचार जैरूसालेम के दैनिक
हारेट्स में सबसे पहले प्रकाशित किया गया था।