टीवी और रेडियोकर्मी महाधर्माध्यक्ष शीन भी ‘वंदनीय’
नई दिल्ली, 30 जून, 2012(कैथन्यूज़) संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने अमेरिका के महाधर्माध्यक्ष
फुल्टन शीन के ‘वीरतापूर्ण गुण’ (‘हिरोइक वर्चु’) को स्वीकार करते हुए उनके संत बनाये
जाने के रास्ते साफ कर दिया है। अब महाधर्माध्यक्ष शीन को काथलिक कलीसिया’वन्दनीय’रूप
में याद कर सकती है। मालूम हो कि महाधर्माध्यक्ष वन्दनीय शीन की मध्यस्थता से होने
वाला कोई एक चमत्कार उन्हें संत बनने के अगले चरण में ले आयेगा जिसे काथलिक कलीसिया "धन्य"
कहती है। मालूम हो कि महाधर्माध्यक्ष फुल्टन सीन काथलिक कलीसिया रेडियो और टेलेविज़न
सुसमाचार प्रचारक रूप में विख़्यात हुए थे। महाधर्माध्यक्ष का जन्म न्यूयॉर्क के
इलीनोइस में सन् 1895 ईस्वी में हुआ था और उनकी मृत्यु सन् 1979 ईस्वी में हो गयी। संत
पापा ने महाधर्माध्यक्ष के लिये जो आज्ञप्ति जारी की है उसमें उनके नाज़ी विरोधी और साम्यवादी
विरोधी जीवन और विचारों को ‘साहसिक गुण’ माना गया है। महाधर्माध्यक्ष शीन के संत
बनाये जान की प्रक्रिया उनके अपने धर्मप्रांत में सन् 2002 में शुरु की गयी और संत प्रकरण
संबंधी कागज़ादों की जाँच-परख सन् 2009 तक चलती रही। रोम के विशषज्ञों द्वारा उनकी
मध्यस्थता से होने वाले कथित चमत्कारों की जाँच जारी है। मालुम हो कि महाधर्माध्यक्ष
शीन ने रेडियो और टेलेविज़न में 40 वर्षों तक जुड़े रहे और "लाईफ़ इज़ वर्थ लिविंग"(‘जीने
लायक जीवन’) नामक उस कार्यक्रम के लिये कार्य किया जिसे प्रतिष्ठित एम्मी पुरस्कार से
सम्मानित किया गया। इस कार्यक्रम को सन् 1951 से 1957 तक जारी रहा जिसे करीब 30 मिलियन
लोगों ने देखा।