2012-06-26 12:39:29

वाटिकन सिटीः बुलाहटों को प्रोत्साहन देने के लिये वाटिकन ने प्रकाशित की निर्देशिका


वाटिकन सिटी, 26 जून सन् 2012 (सेदोक): वाटिकन की काथलिक शिक्षा सम्बन्धी परमधर्मपीठीय परिषद ने, सोमवार को, पुरोहिताई एवं धर्मसमाजी जीवन हेतु बुलाहटों को प्रोत्साहन देने के लिये 27 पृष्ठों वाला एक दस्तावेज़ प्रकाशित किया।
पौरोहित्य मिशन हेतु बुलाहटों को प्रोत्साहित करनेवाले प्रेरितिक निर्देश" शीर्षक से प्रकाशित यह दस्तावेज़ तीनों भागों में विभक्त है जो बुलाहटों की वर्तमान वैश्विक स्थिति का परीक्षण करते, बुलाहटों तथा पौरोहित्य की पहचान को परिभाषित करते तथा बुलाहटों को प्रोत्साहित करने हेतु सुझाव प्रस्तुत करते हैं। पत्रकारों के समक्ष उक्त दस्तावेज़ की प्रकाशना करते हुए काथलिक शिक्षा सम्बन्धी परमधर्मपीठीय परिषद के अध्यक्ष कार्डिनल ज़ेनॉन ग्रोखोलेव्स्की ने कहा कि दस्तावेज़ के मूलपाठ को समझने की कुंजी इस विचार में निहित है कि "पुरोहिताई के लिये बुलाहटों को प्रोत्साहित करना कलीसिया के समक्ष अनवरत प्रस्तुत एक चुनौती है।"
दस्तावेज़ में इस तथ्य की ओर ध्यान आकर्षित कराया गया है कि उपभोक्तावाद, घटती जन्म दर तथा धार्मिक गतिविधियों में आये पतन के परिणामस्वरूप बुलाहटें अपेक्षाकृत घटी हैं जिससे कलीसिया की प्रेरितिक सेवा का अतिरिक्त भार वृद्ध होते पुरोहितों पर अधिकाधिक पड़ा है।
वर्तमान विश्व में पुरोहितों की संख्या के विषय में कहा गया कि पारम्परिक रूप से ख्रीस्तीय देशों में और विशेष रूप से यूरोप में पुरोहितों की संख्या में विगत दस सालों में कमी देखी गई। दस वर्ष पूर्व पुरोहिताभिषेक हेतु अध्ययनरत गुरुकुल छात्रों की संख्या 26,879 थी जो सन् 2010 में 20,564 रह गई है। इसके विपरीत एशिया में पुरोहिताभिषेक के लिये अध्ययन करनेवाले गुरुकुल छात्रों में सन्तोषजनक वृद्धि देखी गई। दस वर्षों में यह संख्या 25, 174 से 33,282 हो गई है।
बुलाहट सम्बन्धी कठिनाइयों के प्रकाश में, कार्डिनल ग्रोखोलेव्स्की ने कहा कि दस्तावेज़, "उन आवश्यक स्थितियों की प्रस्तावना करता है जिनसे कलीसिया बुलाहटों के लिये उर्वरक भूमि तथा युवाओं में पौरोहित्य के प्रति उदारता को पा सके।" इसमें, प्रार्थना द्वारा कलीसियाई समुदाय में ख्रीस्तीय जीवन हेतु फलदायी भूमि की रचना करना, एकीकृत प्रेरितिक देखभाल को महत्व देना तथा सुसमाचार प्रचार मिशन में परिवारों, स्कूलों एवं विश्वविद्यालयों की केन्द्रीय भूमिका को परिभाषित करना शामिल है।








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