2012-06-26 12:06:37

इटलीः सन्त पापा ने इटली के भूकम्प प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर एकात्मता का किया प्रदर्शन


इटली, 26 जून सन् 2012 (सेदोक): सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने, मंगलवार, 26 जून को, इटली के इमिलिया रोमान्या प्रान्त की यात्रा कर यहाँ के भूकम्प प्रभावित क्षेत्रों के लोगों को सान्तवना प्रदान की।
ग़ौरतलब है कि इटली के इमिलिया रोमान्या, लोमबारदिया तथा वेनेतो प्रान्त 20 मई से भूकम्प के झटके झेल रहे हैं जिसमें जान माल की अत्यधिक क्षति हुई है।
रोवेरेते दी नोवी से सभी भूकम्प प्रभावित लोगों को सम्बोधित कर सन्त पापा ने मृतकों के परिवारों के प्रति गहन सहानुभूति एवं संवेदना का प्रदर्शन किया तथा घायलों के स्वास्थ्य लाभ की मंगलकामना की। उन्होंने इस बात पर दुख व्यक्त किया कि इटली के इन प्रान्तों में कई ऐतिहासिक इमारतें और भवन धराशायी हो गये हैं जिनमें कई गिरजाघर भी शामिल थे।
भूकम्प पीड़ितों को सान्तवना देते हुए सन्त पापा ने स्तोत्र ग्रन्थ के 46 वें भजन को उद्धृत किया जिसमें कहा गया है, "ईश्वर हमारा आश्रय और सामर्थ्य है। वह संकट में सदा हमारा सहचर है। इसलिए हम नहीं डरते-चाहे पृथ्वी काँप उठे, चाहे पर्वत समुद्र के गर्त में डूब जायें।"
सन्त पापा ने कहा कि भजन के ये शब्द सभी भूकम्प पीड़ितों का हृदय स्पर्श करते हैं। ये हमसे स्थायी चट्टान यानि ईश्वर में भरोसा रखने का आग्रह करते हैं। उन्होंने कहा कि यद्यपि इस समय ईश्वर में विश्वास की बात करना कठिन है किन्तु "भय के क्षणों में, गहन व्यथा के क्षणों में केवल ईश्वर ही हमारी शक्ति हैं, वे ही हमारे दुर्ग एवं हमारे आश्रय हैं।"
सन्त पापा ने कहा कि ईश्वर रूपी चट्टान पर पुनर्निर्माण सम्भव है और यह पुनर्निर्माण केवल भौतिक ही नहीं होना चाहिये बल्कि आन्तरिक रूप से पुनर्निर्माण की ज़रूरत है। सन्त पापा ने स्मरण दिलाय कि विश्व युद्धों के बाद इटली का पुनर्निर्माण ईश्वर में उसके अटूट विश्वास के कारण हो सका था। ईश्वर में विश्वास के कारण ही इताली जनता में अन्यों के प्रति एकात्मता, परिवारों को सुरक्षित भविष्य प्रदान करने की शुभ इच्छा तथा स्वतंत्रता एवं शांति में जीवन यापन की इच्छा पनप सकी थी। सन्त पापा ने कहा कि भूकम्प से उत्पन्न कठिनाइयों के कारण इटली के लोग अपनी पहचान को न भुलायें, वे अपने इतिहास को और अपनी संस्कृति को न भुलायें जो ठोस नैतिक एवं मानवीय मूल्यों पर टिकी है।
सभी सरकारी संस्थाओं, कलीसियाई समुदायों एवं प्रत्येक नागरिक का उन्होंने आह्वान किया कि भूकम्प पीड़ितों की कठिनाइयों के प्रति वे उदासीन न रहें बल्कि उनकी ज़रूरतों को पूरा करने हेतु अपना अपना योगदान प्रदान करें। अपनी प्रार्थनाओं में सदैव पीड़ितों के साथ रहने का सन्त पापा ने आश्वासन दिया।








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