हिन्दु राष्ट्रवादी शासित राज्यों में ईसाई-विरोधी हमलों की घटनायें
मुम्बई, 23 जून, 2012 (एशियान्यूज़) हिन्दु राष्ट्रवादी शासित राज्यों में ईसाई-विरोधी
हमलों की घटनायें "शर्मनाक और हिंसा, सामाजिक दबाव और धार्मिक स्वतंत्रता को सीमित करने
वाले कष्टदायक तौर-तरीके" हैं।
उक्त बातें ग्लोबल कौंसिल ऑफ इंडियन क्रिश्चियन्स
(जीसीआईसी) के अध्यक्ष साजन जोर्ज ने उस समय कहीं जब उन्होंने कर्नाटक और मध्यप्रदेश
में हुए ईसाई विरोधी कारनामों पर अपनी प्रतिक्रया की।
साजन जोर्ज ने कहा कि दोनों
राज्यों में बीजेपी की सरकार है जो संघ परिवार द्वारा चलाये जा रहे अतिवादी आंदोलनों
का सामना करती है। इसीलिये ख्रीस्तीय विरोधी आक्रमणों के लिये उन्हें ज़िम्मेदार ठहराया
जा सकता है।
विदित हो कि 22 जून को मध्यप्रदेश के इंदौर से करीब 150 किलोमीटर
की दूर पर स्थित पाती गाँव में पुलिस ने पास्टर अर्जून और राकेश नामक विश्वासी को बिना
नोटिस के उस समय गिरफ़्तार कर लिया जब दोनों प्रार्थना सभा का संचालन कर रहे थे। फिर
बाद में उन्हें रिहा कर दिया गया।
ठीक उसी तरह की घटना कर्नाटक केशवपूर में हुआ
जहाँ संघ परिवार की शिकायत पर पेंतेकोस्टल पास्टर मंजुनाथ, स्तेल्ला और भवानी को गिरफ़्तार
कर लिया।
घटना के अनुसार तीनों ईसाई हुबली बस स्टेशन के निकट ख्रीस्तीयता से
जुड़ी पर्चियाँ बाँट रहे थे। अतिवादी संगठन से जुड़े लोगों ने तीनों को पकड़ लिया, अपमानित
किया, अपशब्द कहे, सभी पर्चियाँ छीन लीं और उन्हें पुलिस के हवाले कर दिया जहाँ वे अब
तक पुलिस पहरे में हे।
विदित हो कि मान्यवर मंजुनाथ ने इंडियन चर्च ऑफ क्राइस
का नेतृत्व विगत सात वर्षों से किया है। और इस समुदाय में करीब 25 लोग हैं।
विदित
हो कि मध्यप्रदेश भारत के उन 6 राज्यों में शामिल है जहाँ धर्मविरोधी कानून पारित किया
जा चुका है। कर्नाटक राज्य ने इसे पारित नहीं किया है पर इसका प्रयास जारी है।
मालुम
हो कि ईसाई-विरोधी हिंसा में शमिल लोगों को राज्य सरकार का समर्थन प्राप्त है और इसीलिये
ईसाइयों के विरुद्ध कार्य करने के उनके हौसले बुलन्द हैं।
साजन जोर्ज ने केन्द्र
का ध्यान इस ओर ख्रींचने का प्रयास किया है ताकि अल्पसंख्यक स्वंतत्र निर्भीक होकर अपने
धर्म के अनुसार अपना जीवन-यापन कका पालन कर सकें।