वाटिकन सिटी, 23 जून, 2012 (न्यूज़.वीए) विश्व शरणार्थी दिवस (वर्ल्ड रेफ्यूजी डे) के
अवसर पर 20 जून बुधवार को रोम में आयोजित प्रार्थना सभा की विषयवस्तु थी ‘डायिंग ऑफ होप’
अर्थात् ‘आशा का अंत’ एक विरोधाभास है।
उक्त बात वाटिकन प्रवक्ता जेस्विट फादर
फेदेरिको लोमबारदी ने उस समय कही जब उन्होंने वाटिकन टेलेविज़न के साप्ताहिक कार्यक्रम
‘ऑक्तावा दियेस’ में शरणार्थी दिवस पर आयोजित प्रार्थना सभा पर अपने विचार व्यक्त किये।
फादर
लोमबारदी ने कहा कि हाल के वर्षो में यूरोप आने के सिलसिले में करीब 20 हज़ार लोगों की
मौत हो गयी है। उनमें करीब 3 हज़ार लोगों की मौत उस समय हो गयी जब उन्होंने इटली आने
के सिलसिले में मूमध्यसागर पार करने का प्रयास किया।
उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं
है कि लोग यूरोप ही प्रवेश करने का प्रयास कर रहे हैं। हाल के महीनों में 70 हज़ार लोग
माली से भाग कर मौरिताना के म्बेर्रा में शरण लिये हुए हैं क्योंकि उनके देश में गृह
युद्ध जारी है।
वाटिकन प्रवक्ता ने कहा कि अफ्रीका के कई भागों में संघर्ष जारी
होने के कारण भी कई शरणार्थी कैम्प खोलने की ज़रूरत पड़ी है। प्रत्येक शरणार्थी की कहानी
दूसरे से भिन्न और दर्दों से भरी है।
म्बेर्रा से आयी तीन युवा महिलाओं की कहानी
बहुत दर्दनाक है। उनकी गोद में छोटे बच्चे हैं पर उनके पतियों की मौत हो चुकी है। महिलायें
असुरक्षित कमजोर और यौन शोषण की शिकार हैं।
फादर लोमबारदी ने कहा कि आज ज़रूरत
है शरणार्थियों को समझने की तथा मानवीय और आध्यात्मिक राहत देने की ताकि वे दूसरों पर
भरोसा करना सीख पायें और नये सिरे से अपना जीवन जी सकें।
उन्होंने कहा शरणार्थियों
की बातों को सुनने, समझने और उनकी मदद करने से अपने भविष्य के प्रति आशान्वित हो पायेंगे।
वाटिकन
प्रवक्ता ने कहा नये और बेहत्तर दुनिया के निर्माण के लिये आज की ज़रूरत है कि विश्वासियों
और भली इच्छा रखने वाले शरणार्थियों के लिये रोटी और मकान की व्यवस्था के साथ उन्हें
समझने का प्रयास करें और उन्हें एक नयी ज़िन्दगी शुरु करने में मदद दें।