रोमः सन्त पापा को ईश्वर को नहीं मानने वाली संस्कृति से इनकार
रोम, 13 जून, सन् 2012 (सेदोक): रोम स्थित सन्त जॉन लातेरान महागिरजाघर में, सोमवार को
सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने "बपतिस्मा के सौन्दर्य की खोज" शीर्षक से आयोजित सम्मेलन
का उदघाटन करते हुए कहा कि भौतिकतावाद की ओर झुकी तथा ईश्वर को स्वीकार न करनेवाली संस्कृति
का बहिष्कार किया जाना ही उचित है।
उन्होंने कहा, ऐसी संस्कृति का बहिष्कार
कर दिया जाना चाहिये जो अन्यों का कल्याण नहीं चाहती, जिसकी नैतिकता गुमराह करनेवाला,
अस्तव्यस्तता फैलानेवाला तथा नष्ट करनेवाला एक मुखौटा मात्र है।"
सन्त जॉन लातेरान
महागिरजाघर में सन्त पापा काथलिक धर्म के सर्वप्रथम संस्कार बपतिस्मा के महत्व पर प्रवचन
कर रहे थे। सन्त पापा ने कहा, "बपतिस्मा संस्कार प्राप्त कर हम पवित्र तृत्व की दैवीयता
में उन्मज्जित हो जाते हैं; हम ईश्वर के नाम के साक्षी बन जाते हैं।"
उन्होंने
कहा कि बपतिस्मा प्राप्त करने का अर्थ है कि हम ईश्वर के साथ एक अद्वितीय अस्तित्व में
एकप्राण हो जाते हैं। इसका अर्थ है कि ईश्वर कोई सुदूर चीज़ नहीं रह जाती बल्कि हमारे
बीच एक सजीव उपस्थिति बन जाती है।
बपतिस्मा संस्कार की धर्मविधि का विश्लेषन
कर सन्त पापा ने कहा, "आज बुराई के प्रलोभन के परित्याग का अर्थ झूठ एवं मिथ्या धारणाओं
पर आधारित जीवन से स्वतः को मुक्त करना भी है। बपतिस्मा संस्कार द्वारा हम पाप का परित्याग
कर ईश्वर की सन्तान बनने का अधिकार प्राप्त करते हैं जिसे सुरक्षित रखने के लिये प्रत्येक
विश्वासी को अनवरत प्रयास करते रहना चाहिये।"