जकार्ता, 4 जून, 2012 (एशियान्यूज़) इंडोनेशिया के सेंट्रल जावा में अवस्थित संत पीटर
कनीनसस माइनर सेमिनरी ने 30 मई को अपनी स्थापना के सौ साल पूरे किये। इस माइनर सेमिनरी
ने अपने सौ साल के इतिहास में एक ओर हज़ारों पुरोहितों तथा दर्जनों धर्माध्यक्षों को
कलीसिया के लिये दिया तो दूसरी ओर इंडोनेशिया की काथलिक कलीसिया के विकास में भी अपना
बहुमूल्य योगदान दिया ।
पवित्र तृत्व के पर्व दिवस पर रविवार 3 जून को पवित्र
यूखरिस्तीय बलिदान अर्पित कर माइनर सेमिनरी की शतवर्षीय जुबिली मनायी गयी जिसमें करीब
3 हज़ार ‘अलुमनाई’ (पूर्व विद्यार्थियों) ने हिस्सा लिया।
जेस्विट इतिहासकार
फादर फ्लोरिबेरतुस हास्तो रोसारियानतों के अनुसार माइनर सेमिनरी की स्थापना डच मिशनरी
फादर वान लिथ की दूरदर्शिता का फल था जिन्होंने 30 मई सन् 1912 में माइनर सेमिनरी की
स्थापना की ताकि स्थानीय लोगों के बीच सुसमाचार का प्रचार हो।
विदित हो कि इसी
माइनर सेमिनरी ने इंडोनेशिया के दो राष्ट्रीय नेताओं को जन्म दिया। मोन्सिन्योर अलबेर्तुस
सोयजीजापरानाता और आईजे कसीमो जिन्होंने कैथोलिक पार्टी की स्थापना की और सुकारनो सरकार
में शामिल भी बने। ज्ञात हो कि सुकारनो को इंडोनेशिया का संस्थापक माना जाता है जो देश
के प्रथम राष्ट्रपति भी बने।
13 जनवरी सन् 1941 से माईनर सेमिनरी में सुचारु
रूप से क्लास चालु किया गया। पर इसी समय द्वितीय विश्व युद्ध आरंभ हुआ था और जेस्विटों
की संपति ज़ब्त कर ली गयी और बाद में जब 5 अप्रैल 1942 पास्का रविवार को जापान के अधिकारियों
ने सेमिनरी को बन्द करा दिया और उसे कृषि प्रशिक्षण केन्द्र में तब्दील कर दी।
जब
17 अगस्त सन् 1945 जापानी सेना ने इंडोनेशिया की धरती छोड़ी तो भी सेमिनरी को जारी रखने
के लिये उचित साधन और स्थान नहीं थे।
8 दिसंबर सन् 1952 में जब मोन्सिन्योर अलबेरतुस
सोएजीजापारानाता ने इसे पुनः चालु कराया और तब से इस माइनर सेमिनरी ने पूरे देश को अपनी
सेवायें दी हैं।