प्रेरक मोतीः शहीद सन्त मारसेलीनुस एवं शहीद सन्त पीटर (चौथी शताब्दी) (02 जून)
वाटिकन सिटी, 02 जून सन् 2012:
रोमी सम्राट दियोक्लेशियन के युग के इन दोनों
शहीदों के बारे में, हालांकि, हमें बहुत कम जानकारी है तथापि इतना तो सच है कि आरम्भिक
कलीसिया में इन दोनों शहीदों की भक्ति की जाती थी। इनके प्रति सम्मान भाव का सबूत हमें
कॉन्सटेनटाईन स्थित महागिरजाघर में मिलता है जहाँ इनकी समाधियाँ हैं। इसके अतिरिक्त,
यूखारिस्त की प्रथम प्रार्थना में भी इन शहीदों का नाम लिया जाता है।
सन्त
पापा दामासुस कहा करते थे कि उन्होंने इन दो शहीदों के बारे में इनके जल्लाद से सुना
था जिसने बाद में मनपरिवर्तन कर ख्रीस्तीय धर्म का आलिंगन कर लिया था। मारसेलीनुस एक
पुरोहित थे तथा सन्यासी पीटर, प्रार्थना द्वारा, अपदूतों से लोगों को मुक्ति दिलाया करते
थे। इन दोनों को, प्रभु ख्रीस्त में उनके विश्वास के कारण, सन् 304 ई. में प्राणदण्ड
दे दिया गया था। इनकी शहादत की कहानी के अनुसार, इन्होंने अपने कारावासी जीवन को सुसमाचार
प्रचार के मौके के रूप में देखा तथा क़ैद में रहते हुए, कारावास के जेलर तथा उसके परिवार
का मनपरिवर्तन करने में सफल हुए। यह भी कहा जाता है कि मारसेलीनुस एवं पीटर को दूर जंगल
में ले जाकर मार डाला गया था ताकि अन्य ख्रीस्तीय धर्मानुयायी उनकी दफन क्रिया न कर सकें
तथा उनके अवशेषों की भक्ति में न लगें। तथापि, दो महिलाओं ने इनके शवों को पाया तथा उचित
रीति से उनकी अन्त्येष्टि कर उन्हें दफनया। रोम शहर के शहीद सन्त मारसेलीनुस तथा सन्त
पीटर का स्मृति दिवस 2 जून को मनाया जाता है।
चिन्तनः कठिन
परिस्थितियों में भी हम अपने विश्वास का साक्ष्य देना न छोड़ें।