वाटिकन सिटीः "कथित दर्शन एवं सन्देश सुसमाचार में सुधार या संशोधन नहीं कर सकते", कार्डिनल
लेवादा
वाटिकन सिटी, 30 मई सन् 2012 (सेदोक): वाटिकन स्थित "विश्वास एवं धर्मसिद्धान्त सम्बन्धी
परमधर्मपीठीय परिषद", ने मंगलवार को एक नया दस्तावेज़ जारी कर कहा है कि "कथित दर्शन
एवं सन्देश सुसमाचार में सुधार या संशोधन नहीं कर सकते"।
परिषद अध्यक्ष कार्डिनल
विलियम लेवादा द्वारा हस्ताक्षरित दस्तावेज़ के प्राक्कथन में कहा गया कि अलौकिक स्रोतों
से सम्बन्धित तथ्यों के सत्य होने के लिये उन्हें प्रभु येसु ख्रीस्त की ओर अभिमुख होना
चाहिये क्योंकि वे ही मुक्तिदाता एवं ईश्वर की निश्चयात्मक प्रकाशना हैं। इस तथ्य पर
बल दिया गया कि दिव्य दर्शन अथवा सन्देश नई प्रकार की भक्ति, धर्मपरायणता एवं निष्ठा
को जन्म दे सकते हैं किन्तु सुसमाचार के सन्देश को नहीं बदल सकते।
दस्तावेज़
के प्राक्कथन में लिखा गया, "येसु प्रकाशना के चरम हैं, ईश प्रतिज्ञा की परिपूर्णता हैं
तथा मनुष्य एवं ईश्वर के बीच साक्षात्कार के मध्यस्थ हैं। येसु ही वे शख्स हैं जिन्होंने
हमें ईश्वर का ज्ञान दिया है, येसु ही मानवजाति को मिला निर्णायक शब्द हैं।" आगे लिखा
गया, "इसी कारण, अलौकिक स्रोतों पर आरोपित अनुमानित प्रकाशनाओं, दर्शनों एवं सन्देशों
को सत्य होने के लिये येसु ख्रीस्त के प्रति अभिमुख होना चाहिये। इनके कारण सुसमाचार
में संशोधन अथवा सुधार का प्रयास कतई नहीं किया जाना चाहिये।"
विश्वास
एवं धर्मसिद्धान्त सम्बन्धी परमधर्मपीठीय परिषद के जिस दस्तावेज़ की प्रकाशना इस समय
की गई है वह वस्तुतः सन् 1978 का दस्तावेज़ है किन्तु उस समय यह केवल धर्माध्यक्षों को
प्रेषित किया गया था। परिषद ने इसे विश्व के समस्त काथलिक धर्मानुयायियों के लिये उपलभ्य
बनाकर इस तथ्य की पुष्टि करनी चाही है कि प्रभु येसु ख्रीस्त ही मुक्तिदाता एवं ईश प्रकाशना
हैं, वे ही मानव एवं ईश्वर के बीच मध्यस्थ हैं।