2012-05-29 11:43:41

हैदराबादः आन्ध्रप्रदेश की उच्च अदालत ने धार्मिक अल्पसंख्यकों के प्रश्न पर केन्द्र को दिया झटका


हैदराबाद, 29 मई सन् 2012 (ऊका): आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए अलग से आरक्षण की व्यवस्था हेतु केंद्र सरकार द्वारा जारी एक ज्ञापन को खारिज कर दिया है।

उक्त ज्ञापन में केन्द्र सरकार ने, अन्य पिछड़े वर्गों के लिए मौजूदा 27 प्रतिशत के आरक्षण कोटे में से धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए 4.5 प्रतिशत आरक्षण देने की घोषणा की थी जिनमें सबसे बड़ी संख्या मुसलमानों की है।

ऊका समाचार के अनुसार आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायधीश मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति पीवी संजय कुमार की खंडपीठ ने घोषणा की कि केन्द्र सरकार की यह व्यवस्था धार्मिक उदगारों पर आधारित थी तथा इसमें किसी भी प्रकार बौद्धिक तर्क या अनुभनजन्य आंकड़ों पर विचार नहीं किया गया।"

अदालत के मुतबिक यह व्यवस्था न तो तार्किक है और न ही कानून के अनुरूप। उच्च अदालत की खण्डपीठ ने केन्द्र सरकार की उक्त आरक्षण व्यवस्था पर रोष जताकर इसे संविधान के विरुद्ध करार दिया।

केंद्र में सत्ताधारी यूपीए गठबंधन का नेतृत्व कर रही कांग्रेस ने अदालत के फैसले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है जबकि विपक्षी भारतीय जनता पार्टी ने इसका स्वागत किया है। भाजपा ने आरोप भी लगाया कि अल्पसंख्यकों से वोट लेने के लिये यूपीए ने इस प्रकार के आरक्षण की घोषणा की थी।

स्मरण रहे कि इस वर्ष के आरम्भ में, उत्तर प्रदेश चुनावों से पूर्व, केन्द्र सरकार ने दो अलग अलग घोषणाओं में कहा था कि अन्य पिछड़े वर्गों के लिए मौजूदा 27 प्रतिशत के आरक्षण कोटे में से धार्मिक अल्पसंख्यकों को 4.5 प्रतिशत आरक्षण दिया जायेगा।

आंध्र प्रदेश के बी.सी. वेलफेयर एसोसिएशन ने केन्द्र सरकार की इस घोषणा को चुनौती दी थी।









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