2012-05-24 17:00:38

चर्च संचालित चिकित्सा संस्थानों को नैतिकता का हनन करने के लिए सरकारें विवश नहीं करें


जिनेवा स्विटजलैंड 24 मई 2012 (सेदोक सीएनएस) स्विटजरलैंड के जिनेवा शहर में विश्व स्वास्थ्य संगठन की 21 से 26 मई तक सम्पन्न हो रही वार्षिक बैठक में भाग ले रहे सरकारी चिकित्सा सेवा अधिकारियों को परमधर्मपीठीय चिकित्सा प्रेरिताई समिति के अध्यक्ष महाधर्माध्यक्ष जिगमुंड जिमोवस्की ने 23 मई को सम्बोधित किया। उन्होंने सबलोगों के लिए व्यापक स्तर पर चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराये जाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर किये जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि समानता, मानवाधिकार और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों पर आधारित नीतियाँ अधिकांश लोगों के लिए श्रेष्ठ चिकित्सा सेवा सुनिश्चित करेंगी।
महाधर्माध्यक्ष जिमोवस्की ने कहा कि सरकारों को चाहिए कि व्यापक स्तर पर चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराने के लिए चर्च सहित गैर सरकारी संगठनों के काम को मान्यता देते हुए सहायता दें एवं उन्हें ऐसे कामों में सहभागी होने या नीतियों को मानने के लिए बाध्य नहीं करें जिसमें वे नैतिक कारणों से शामिल नहीं होना चाहते। 21 से 26 मई तक सम्पन्न हो रही बैठक में जन स्वास्थ्य से जुडे मुददों, सबको स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने, मानसिक बीमारी तथा सहस्राब्दि विकास के लक्ष्य जैसे मुददों पर विचार-विमर्श किया जा रहा है।
सम्मेलन में वाटिकन के प्रतिधिमंडल का प्रतिनिधित्व करते हुए महाधर्माध्यक्ष जिमोवस्की ने 194 सदस्य राष्ट्रों से आग्रह किया कि समानता और सह्दयता के आधार पर सब नागरिकों के लिए व्यापक स्तर पर वाजिब कीमत पर स्वास्थ्य सेवा और सुरक्षा उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखें। उन्होंने संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें के आह्वान को दुहराते हुए कहा कि वास्तव में न्याय, जो वस्तुनिष्ठ जरूरतों के आधार पर सबलोगों के लिए स्वास्थ्य चिकित्सा की गारंटी देता है इसके साथ ही यह चिकित्सा सेवा कदापि नैतिक नियमों का अनादर न करे।
महाधर्माध्यक्ष जिमोवस्की ने कहा कि काथलिक कलीसिया सम्पूर्ण विश्व में लगभग एक लाख 20 हजार समाज सेवा के केन्द्रों और चिकित्सा संस्थानों के द्वारा जिसमें अनेक विकासशील देशों में हैं इनके द्वारा जन समुदाय को चिकित्सा सेवा सहायता उपलब्ध करने में सरकार की मुख्य सहयोगी रही है। यह दूरस्थ और ग्रामीण क्षेत्रों में कम आय वर्ग के लोगों के लिए स्वास्थ्य सेवा का लाभ पहुँचा रही है जो कि अन्यथा उन तक पहुँच नहीं पाती ।








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