मिजारम,11मई 2012(कैथन्यूज़) मिजोरम के युवाओं में शैतान पूजा से अभिभावक, समाज सेवियों
और चर्च नेता परेशान है। रिपोर्ट के अनुसार विगत 10 दिनों में तीन ऐसी घटनायें सामने
आयीं हैं जिसमें शैतानपूजा करने वालों ने गिरजाघर की वेदी के समक्ष शैतान का प्रतीक चिह्न
बनाया और बाईबल को जला दिया। एक अन्य घटना में शैतान पूजकों ने मंगलवार तड़क उत्तरी
मिजोरम के कोलासिब के प्रेसबेट्रियन चर्च पर हमला किया। एक प्रत्यक्षदर्शी इंगलवमा
ने बताया कि उन्होंने करीब 4 बजे गिरजा के अन्दर से धुँआ निकलते देखा था। पुलिस निरीक्षक
दल ने पाया कि बाइबल की एक पूरी गठरी को जला दिया गया था। पुलिस ने बताया कि जलाये गये
सभी बाईबल उसी चर्च के नहीं थे उन्हें कई गिरजाघरों से जमा किया गया था। स्थानीय
लोगों ने बतलाया कि बाइबल जलाने की घटना पिछले वर्ष 24 दिसंबर को कोलासिब जिले में ही
शुरु हुई। 19 जनवरी को अइजवल चर में और 2 मई को कोलासिब के ही युनाइटेड पेन्टेकोस्टल
चर्च में बाइबल और धार्मिक गीत संग्रह किताबों को जलाया गया। नेन्ते नामक एक शोधकर्त्ता
ने बतलाया कि मिजोरम के कई युवाओं ने इस बात को स्वीकार किया है कि वे शैतान की पूजा
करते हैं। वे अपने कलाई काटते और अपना खून चढ़ाते हैं ताकि उन्हें दैवीय शक्ति प्राप्त
हो। अइजवल थियोलोजिकल कॉलेज के प्रोफेसर रेभ. एल. एच रवासी की खोज के अनुसार मिजोरम
में शैतान पूजा 2000 ईस्वी के आसपास शुरु हुई। कुछ लोग इसे पश्चिमी सभ्यता का प्रभाव
मानते हैं तो कुछ मानते हैं कि फिल्म और टेलेविज़न के प्रभाव से युवा शैतान पूजा की ओर
भाग रहे हैं।