काथलिक मध्य पूर्व विशेषज्ञ फादर समीर के अनुसार अरब जगत में वसंतकाल नहीं रहा
रोम इटली 9 मई 2012 सीएनए मध्य पूर्व के मामलों पर काथलिक कलीसिया के एक प्रमुख विशेषज्ञ
येसु समाजी पुरोहित फादर समीर खलील समीर ने सीएनए समाचार सेवा से कहा है कि अरब जगत में
अब जासमीन क्रांति का वसंतकाल नहीं रहा। आरम्भ में यह वसंत काल था क्योंकि सचमुच में
यह स्वतंत्र आन्दोलन, स्वतंत्रता के लिए असंगठित अभियान थ। रोम के परमधर्मपीठीय ओरिंयेंटल
इंस्टीच्यूट तथा बेरूत और पेरिस में अध्यापन करनेवाले मिस्र के येसुसमाजी पुरोहित फादर
समीर ने विगत साल कुछ सतर्कता सहित अरब जासमीन क्रांति का स्वागत किया था जिसने मध्य
पूर्व के अनेक तानाशाहों को सत्ता से बेदखल कर दिया। इसके बाद यद्यपि कुछ पर्यवेक्षकों
को आशा थी कि लोकतंत्र स्वरूप वाली सरकारें बनेंगी लेकिन देखा गया कि मिस्र, लीबिया के
राजनैतिक क्षेत्र में इस्लामिक आन्दोलन प्रभावी हो गये हैं। बहरीन और सीरिया में नागरिकों
के विरोधों को इस्लामिक ताकतें बढ़ावा दे रही हैं। फादर समीर ने कहा वे अरब जगत में सबके
लिए खुले समाज बनने के लिए प्रार्थना करते हैं तथा इस पथ में उनके सामने दो अवरोधक हैं
पहला- लोकतंत्र के साथ अनुभव की कमी और दूसरा अरब जगत की महिलाओं के मध्य शिक्षा की कमी।
फादर समीर ने मिस्र का संदर्भ देते हुए कहा कि 1952 से ही हमारे पास लोकतंत्र नहीं
है। मिस्र में तीन सैन्य तानाशाहों नासिर, सादात और मुबारक ने देश का संचालन किया। हम
लोकतांत्रिक होने की आकांक्षा करते हैं लेकिन यह नहीं जानते हैं कि लोकतंत्र क्या है
और इसे कैसे बनाया जाये। उनका मानना है कि क्षेत्र में लोकतंत्र का विकास होगा लेकिन
इस लक्ष्य को संभवतः अगली पीढी हासिल करेगी। फादर समीर के विचारानुसार शिक्षा, विशेष
रूप से महिलाओं की शिक्षा, स्थायी लोकतांत्रिक समाज बनाने के लिए एक मुख्य कारक है। अरब
महिलाएँ परिवार बनाती हैं, वे शांति चाहती हैं न कि युद्ध। अल्पसंख्यकों के प्रति महिलाओं
में ज्यादा लगाव होता है। पश्चिमी दुनिया के लोगों के लिए फादर समीर की सलाह है कि
वे अरब जगत् के लिए प्रार्थना करें तथा मध्य पूर्व क्षेत्र में गैर-सरकारी संगठनों के
द्वारा शिक्षा के प्रसार को समर्थन दें।