नयी दिल्ली, 7 मई, 2012 (कैथन्यूज़) केद्रीय गृह मंत्री पी. चिदम्बरम ने इस आरोप का खंडन
किया है किया उत्तर-पूर्व के विद्यार्थी को अन्य क्षेत्रों की अपेक्षा अधिक भेदभाव का
सामना करना पड़ता है। पी. चिदम्बरम ने उक्त बात उस समय कही जब उन्होंने पार्लियापेंट
के राज्य सभा में उत्तर-पूर्वी राज्यों के तीन विद्यार्थियों की मृत्यु से उत्पन्न तनाव
पर उठ सवाल का जवाब दिया। उन्होंने कहा, "ऐसा कहना ग़लत है कि उत्तर-पूर्वी राज्यों
के विद्यार्थी दूसरों की अपेक्षा ज़्यादा असुरक्षित हैं।" उन्होंने कहा, "सरकार की
ज़िम्मेदारी है कि वह सबों को सुरक्षा प्रदान करे पर राज्य सरकार को चाहिये वह उन लोगों
को चाहिये कि वह उनकी देखभाल करे जो अपने राज्य क्षेत्र से बाहर निवास करते हों।" विदित
हो कि सन् 2012 में उत्तरपूर्वी राज्यों की महिलाओं पर होने वाले रिपोर्टों की संख्या
8 थी जिसमें सात पर खोजबीन हुई और 11 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया। सन् 2011 में
7 घटनाओं की रिपोर्ट की गयी थी और 6 पर मुकदमा चला और 10 को गिरफ़्तार किया गया । गृहमंत्री
ने कहा कि तीन डेप्यूटी कमीशनर ऑफ पुलिस को इसकी निगरानी के लिये नियुक्त कर दिया गया
ताकि वें उत्तर-पूर्व के विद्यार्थियों और निवासियों की समस्याओं का समाधान करें। उन्होंने
नोर्थ-ईस्ट के विद्यार्थियों को यह आश्वासन दिया कि वे देश के किसी भी कोने में निर्भीक
होकर यात्रा करें उनकी सुरक्षा की ज़िम्मेदारी सरकार पर होगी। उधर केन्द्रीय ग्रामीण
विकास मंत्री अगाथा संगमा ने भी इस बात का खुलासा किया है कि एक विद्यार्थी रूप में उन्होंने
भी भेदभाव का सामना किया था। उन्होंने कहा कि उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के विद्यार्थियों
को दिल्ली जैसे महानगर में कई बार भेदभाव का सामना करना पड़ता है और इसे नज़रअंदाज़ कर
दिया जाता है। इस बार इस मुद्दे पर ध्यान दिया जा रहा है क्योंकि मेघालय के मुख्यमंत्री
ने इस मुद्दे को उठाया है। विदित हो 23 अप्रैल को मेघालय के मुख्यमंत्री की भतीजी
दाना संगमा ने यह कहते हुए आत्महत्या कर लिया था कि परीक्षक ने कथित रूप से उसे अपमानित
किया था। असम की समीरन साइकिया ने परीक्षा के दबाव के कारण आत्महत्या किया और मणीपुर
के रिचर्ड लोइतम बंगलोर में रहस्यात्मक रूप से मृत पाये गया था ।