वाटिकन सिटी, 5 मई, 2012(सेदोक,वीआर) संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने अमेरिका के धर्माध्यक्षों
को प्रत्येक पाँच वर्ष बाद होने वाले उनके ‘अद लिमिना विजिट’ की समाप्ति पर संबोधित में
कहास "शिक्षा और धर्मशिक्षा की दिशा में बहुत प्रगति हुई है जो सराहनीय है।"
उन्होंने
कहा, धर्माध्यक्ष इस बात पर ध्यान दें कि अमेरिका में लोगों को जो बौद्धिक संस्कृति मिले
जो मूलतः काथलिक हो।
उन्होंने कहा, "इसका अर्थ है ख्रीस्तीयवाद का नवीनीकरण और
काथलिक कलीसिया की गूढ़ बातों पर बल देना और अंततः येसु मसीह की मुक्तिदायी सच्चाइयों,
वार्ता और सहयोग को बढ़ावा देना ताकि अमेरिका के सर्वोच्च मूल्यों की रक्षा हो और सुसमाचार
के आधार पर एक नये समाज का निर्माण हो सके।"
संत पापा ने कहा, "अमेरिका के लिये
यह के चुनौति के साथ एक अवसर भी है। पूरी दुनिया के काथलिक अमेरिकी कलीसिया से इसी मार्गदर्शन
की उम्मीद करते हैं। इस कार्य को करने की पहल ख्रीस्तीय शिक्षण संस्थायें करें।"
संत
पापा ने कहा, "आज ऐसा कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि हमारे युवाओं को विश्वास प्रशिक्षण
दिया जाना चाहिये। उन्हें इस बात को समझाया जाना चाहिये कि ख्रीस्तीय दर्शन युवाओं की
परिकल्पना, आकांक्षाओं और आदर्श को प्रभावित करते हैं। युवाओं का यह पूरा अधिकार है कि
वे विश्वास की सुन्दरता को पूर्णरूपेण प्राप्त करें चाहे वह इसकी सम्पन्नता हो यह इसकी
माँग हो।"
संत पापा ने कहा, "सच्ची शिक्षा का उद्देश्य सिर्फ़ ज्ञान देना नहीं
लेकिन यह भी है उनके ह्रदय को शिक्षित करना। इस बात पर लगातार ध्यान दिया जाना चाहिये
कि युवाओं को ईश्वरीय प्रेम और ख्रीस्तीय विश्वास को प्रभावपूर्ण, आकर्षक और पूर्ण रूप
से देने के लिये बौद्धिक क्षमता का सामंजस्यपूर्ण उपयोग हो।