2012-05-03 17:54:02

संत पापा द्वारा चिकित्सा सेवा में विज्ञान और विश्वास पर बल


रोम 3 मई 2012 (सेदोक, वी आर वर्ल्ड) संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने रोम के पवित्र ह्दय काथलिक विश्वविद्यालय और जेमेल्ली अस्पताल में दवा तथा सर्जरी विभाग की स्थापना की 50 वीं वर्षगाँठ के अवसर पर प्राध्यापकों और चिकित्साकर्मियों को 3 मई को सम्बोधित किया। उन्होंने अनुसंधान और चिकित्सा सेवा में विज्ञान तथा विश्वास की पुर्नस्थापना करने पर जोर दिया। यह काथलिक चिकित्सा सेवा विश्वविद्यालय और अस्पताल संस्थापक धन्य अगोस्तीनो जेम्मेली के नाम पर रोमवासियों के मध्य जेमेल्ली अस्पताल के नाम से विख्यात है।
संत पापा ने अस्पताल के अधिकारियों, प्राध्यापकों, चिकित्सा सेवाकर्मियों तथा विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि उनका कार्य केवल पेशा नहीं है बल्कि आधुनिक समाज की सहायता करने का मिशन है ताकि यह विज्ञान और चिकित्सा के उस संकुचित नजरिये से परे जाये जो ईश्वर और पारलौकिकता को दरकिनार करता है और जे इस कारण से तकनीकि दृष्टिकोण से संभव तथा नैतिक दृष्टि से भला है इनके मध्य गंभीर असंतुलन पैदा करता है और जिसके खतरनाक तथा अनापेक्षित परिणाम हैं।
संत पापा ने अपने सम्बोधन में वस्तुओं के अर्थ खोने के परिणाम को केद्रित करते हुए कहा यह क्रमिक रूप से विचारों के कमजोर होने तथा नैतिक गरीबी का परिणाम है। इस प्रवृत्ति को बदलने के लिए हमें वैज्ञानिक अनुसंधान जो विश्वास की खोज के साथ शेयरिंग करता है इस भूमिगत झरने की पुर्नखोज करनी होगी जिसपर यूरोपीय संस्कृति तथा इसकी मूल्य पद्धति की रचना हुई है।
उन्होंने कहा कि विज्ञान और विश्वास के मध्य फलप्रद पारस्परिक आदान प्रदान है, लेकिन वैज्ञानिक वाद विवाद में ईश्वर को अलग करने की संस्कृति के कारण विचारों में गिरावट तथा बौद्धिक क्षमता में कमजोरी आ रही है। उन्होंने कहा कि ईश्वर का प्रेम जो ख्रीस्त में आलोकित होता है। पीड़ा सह रहे ख्रीस्त का चेहरा अनुसंधान की निगाह को तीक्ष्ण और समझने में समर्थ बनाता है जो किसी अन्य प्रकार के अध्ययन से समझा नहीं जा सकता है।
संत पापा ने कहा कि फादर जेमेल्ली ने जीवन की सीमाओं और रहस्यों के प्रति सचेत रहते हुए मानव की भंगुरता और महानता को ध्यान के केन्द्र में वापस लाया। प्रेम बिना विज्ञान भी अपनी कुलीनता खो देता है केवल प्रेम ही मानवजाति के लिए खोज की गारंटी देता है।








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