2012-05-01 12:00:59

वाटिकन सिटीः "पाचेम इन तेर्रिस" कलीसिया और विश्व के बीच सम्वाद हेतु एक शक्तिशाली सम्मन, बेनेडिक्ट 16 वें


वाटिकन सिटी, 01 मई ,स्न 2012 (सेदोक): सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने कहा है कि सन्त पापा जॉन 23 वें का "पाचेम इन तेर्रिस" विश्व पत्र कलीसिया एवं विश्व के बीच सम्वाद हेतु एक शक्तिशाली सम्मन है और रहा है।

"पाचेम इन तेर्रिस" विश्व पत्र की प्रकाशना की 50 वीं वर्षगाँठ के उपलक्ष्य में, "शांति के लिये विश्वव्यापी तड़प", शीर्षक से आयोजित सामाजिक विज्ञान सम्बन्धी परमधर्मपीठीय अकादमी की पूर्णकालिक अधिवेशन के प्रतिभागियों को, सोमवार को प्रेषित सन्देश में सन्त पापा ने यह बात कही।

सन्त पापा ने कहा कि संघर्षों के समाधान पर अन्तरराष्ट्रीय बहसों में क्षमा के विचार का प्रवेश अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि शांति की लक्ष्यप्राप्ति के लिये यह आज उतना ही आवश्यक है जितना कि वह 50 वर्षों पूर्व आवश्यक था और जिसके फलस्वरूप सन्त पापा जॉन 23 वें ने "पाचेम इन तेर्रिस" यानि धरती पर शांति विश्व पत्र की प्रकाशना की थी।

सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने कहा, "सन् 1963 का यह विश्वपत्र आज के विश्व के लिये एक सबक हैः इसने उस समय मानव जाति के हृदय को पसीजा और उसे शांति के मूल्यों का स्मरण दिलाया जब परमाणु युद्ध एक वास्तविक सम्भावना प्रतीत हो रही थी।" सन्त पापा ने कहा, "सन् 1963 से ऐसे युद्ध जो समाप्त होते नज़र नहीं आ रहे थे वे इतिहास में खो गये, जिससे आज के विश्व में न्याय एवं शांति के पक्ष में हमारा संघर्ष मज़बूत होना चाहिये।"

सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें लिखते हैं: "आज जब हम शीत युद्ध के बाद के युग में, हथियारों के अनवरत जारी प्रसार के बीच, न्याय एवं शांति की नवीन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, सन्त पापा जॉन 23 वें द्वारा प्रदत्त दृष्टि से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं।"

धन्य सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय द्वारा सन् 2002 में प्रकाशित विश्व शांति दिवस के सन्देश को उद्धृत कर सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने कहा, "इसी भाव में जब सितम्बर सन् 2001 में आतंकवादियों ने विश्व को झकझोर कर रख दिया था सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय ने इस बात पर बल दिया था कि न्याय के बिना शांति कभी भी स्थापित नहीं हो सकती तथा क्षमा के बिना न्याय स्थापित नहीं किया जा सकता।"








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