स्वर्ग की रानी आनन्द मना प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें
द्वारा दिया गया संदेश
वाटिकन सिटी 30 अप्रैल 2012 (सेदोक, एशिया न्यूज) काथलिक कलीसिया ने रविवार 29 अप्रैल
को बुलाहटों का विश्व प्रार्थना दिवस मनाया। संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने संत पेत्रुस
बासिलिका में आयोजित समारोही ख्रीस्तयाग में रोम धर्मप्रांत के लिए 8 उपयाजकों तथा वियतनाम
के बुई चु धर्मप्रांत के लिए एक उपयाजक का पुरोहिताभिषेक किया। उन्होंने इस समारोह के
बाद संत पेत्रुस बासिलिका के प्रांगण में देश विदेश से आये लगभग 40 हजार तीर्थयात्रियों
और पर्यटकों को स्वर्ग की रानी आनन्द मना प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व सम्बोधित किया।
उन्होंने इताली भाषा में सम्बोधित करते हुए कहा- अतिप्रिय भाईयो और बहनो, संत
पेत्रुस बासिलिका में थोड़ी देर पहले यूखरिस्तीय समारोह समाप्त हुआ है जिसमें मैंने 9
उपयाजकों का पुरोहिताभिषेक किया। इस उपहार के लिए हम ईश्वर का धन्यवाद करें जो कलीसिया
के लिए उनकी निष्ठापूर्ण प्रेम का चिह्न है। इन नये पुरोहितों के चारों ओर हम जमा हों
और पुरोहिताई संस्कार की कृपा के लिए धन्यवाद दें जिसे प्रभु येसु ख्रीस्त पुरोहित और
भले गड़ेरिये को दिया गया है। हम प्रार्थना करते हैं कि सब युवा ईश्वर की पुकार के
प्रति सचेत रहें जो उनके दिल में आंतरिक रूप से कहती और उन्हें बुलाती है कि ईश्वर की
सेवा के लिए सबकुछ का त्याग करें। इस लक्ष्य के लिए आज का बुलाहटों के लिए प्रार्थना
दिवस समर्पित है। वस्तुतः ईश्वर हमेशा बुलाते हैं लेकिन बहुत बार हम नहीं सुनते हैं।
अनेक चीजों और अनेक सतही आवाजों से हम भ्रमित हो जाते हैं और ईश्वर की पुकार सुनने से
डर जाते हैं क्योंकि हम सोचते हैं कि यह हमारी स्वतंत्रता का हरण कर लेगा। वस्तुतः हम
में से प्रत्येक जन प्यार का फल है। अभिभावकों के प्यार का लेकिन गहरे रूप से ईश्वर के
प्रेम का। बाइबिल कहती है- क्या स्त्री अपना दुधमुँहा बच्चा भुला सकती है ? क्या वह अपनी
गोद के पुत्र पर तरस नहीं खायेगी ? यदि वह भुला भी दे तो भी मैं तुम्हे कभी नहीं भुलाऊँगा।
जिस क्षण हम इसे महसूस करते हैं हमारा जीवन बदल जाता है। यह उस प्रेम का प्रत्युत्तर
बन जाता है, किसी भी जवाब से महान बन जाता है और मेरी स्वतंत्रता पूरी हो जाती है। युवा,
जो आज पुरोहित अभिषिक्त किये गये वे अन्य युवाओं से भिन्न नहीं हैं वे ईश्वर के प्रेम
के सौंदर्य द्वारा गहरे रूप से स्पर्श किये गये हैं और अपने सम्पूर्ण जीवन के द्वारा
इसका प्रत्युत्तर दे रहे हैं। उन्होंने ईश्वर के प्रेम को कैसे पाया, इसे उन्होंने येसु
ख्रीस्त के सुसमाचार में, यूखरिस्त में और कलीसियाई समुदाय में पाया। कलीसिया में हम
पाते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति का जीवन प्रेम कथा है। पवित्र धर्मशास्त्र यह स्पष्ट रूप
से दिखाता है तथा इसकी पुष्टि संतों के साक्ष्य द्वारा हुई है। उदाहरण के लिए संत अगुस्टीन
की अभिव्यक्ति में जब वे ईश्वर की ओर मुड़ते हैं और कहते हैं- देर से मैंने आपको प्यार
किया है, सौंदर्य कितना प्राचीन और कितना नवीन. आप मेरे अंदर थे और मैं बाहर....आप मेरे
साथ थे और मैं आपके साथ नहीं था लेकिन आपने मुझे बुलाया और आपकी पुकार ने मेरे बहरेपन
को जीत लिया है। प्रिय मित्रो, कलीसिया के लिए, हर स्थानीय समुदाय के लिए प्रार्थना
करें जो सिंचित बाग की तरह हो जहाँ ईश्वर द्वारा बहुतायत में लगाये गये बुलाहट के बीज
अंकुरित हों और बढ़ें। हम प्रार्थना करें कि हर जगह, आप बाग बनायें, बुलाये जाने के आनन्द
को विभिन्न उपहारों में व्यक्त करें। परिवार विशिष्ट रूप से वे प्राथमिक स्थल हैं जहाँ
ईश्वर का प्रेम, जीवन की कठिनाईयों और परीक्षाओं के मध्य भी आंतरिक शक्ति प्रदान करता
है। परिवार में रहकर जो ईश्वर को अनुभव करता है वह बेशकीमती उपहार पाता है यह समयांतराल
में फल उत्पन्न करता है। हम यह सब धन्य कुँवारी माता मरिया में पाते हैं जो दिव्य
आह्वान के प्रति निष्ठावान रहीं तथा कलीसिया में हर बुलाहट की माता है। इतना कहने
के बाद संत पापा ने स्वर्ग की रानी आनन्द मना प्रार्थना का पाठ किया और सबको अपना प्रेरितिक
आशीर्वाद प्रदान किया।