वाटिकन सिटीः "पाचेम इन तेर्रिस" धर्मशिक्षा प्रदान करने के लिये एक आदर्श, महाधर्माध्यक्ष
वाटिकन सिटी, 28 अप्रैल सन् 2012 (सी.एन.एस.): धन्य सन्त पापा जॉन 23 वें द्वारा प्रकाशित
"पैचेम इन तेर्रिस" विश्व पत्र धर्मशिक्षा प्रदान करने के लिये एक आदर्श सिद्ध हो सकता
है।
शुक्रवार, 27 अप्रैल को, वाटिकन में उक्त विश्व पत्र की 50 वीं वर्षगाँठ
के उपलक्ष्य में आयोजित सामाजिक विज्ञान सम्बन्धी परमधर्मपीठीय अकादमी की विशिष्ट बैठक
को सम्बोधित कर फ्राँस के महाधर्माध्यक्ष रोलान्ड मिनेराथ डिजोन ने यह बात कही। उन्होंने
कहा, "ऐसे समय में जब कलीसिया विश्व में न्याय एवं शांति स्थापना हेतु प्रयास कर रही
है, धन्य सन्त पापा जॉन 23 वें के विश्व पत्र "पाचेम इन तेर्रिस" से मार्गदर्शन प्राप्त
किया जा सकता है।"
महाधर्माध्यक्ष ने कहा कि इस विश्व पत्र पर सम्पूर्ण विश्व
से सकारात्मक प्रतिक्रियाएँ आईं हैं क्योंकि यह आम आदमी तथा सभी शुभचिन्तकों को सम्बोधित
कलीसिया का पहला विश्व पत्र था। उन्होंने कहा कि इस पत्र में, शीत युद्ध के दौरान, लोगों
में व्याप्त शांति की तृष्णा को जगह मिली। साथ ही उपनिवेशवाद से स्वतंत्रता पानेवाले
अफ्रीका एवं एशिया के देशों की उत्कंठाओं को भी अभिव्यक्ति मिली।
महाधर्माध्यक्ष
ने कहा, "इस विश्व पत्र ने मानवजाति को आशा का सन्देश दिया तथा इस तथ्य के प्रति चेतना
जाग्रत की कि न्याय एवं शांति की स्थापना कर मानव जाति को विभाजित करनेवाले घटकों को
पराजित किया जा सकता है।"
"पाचेम इन तेर्रिस" विश्व पत्र में धन्य सन्त पापा जॉन
23 वें ने श्रमिकों के अधिकारों, महिलाओं के उत्थान, प्रजातंत्रवाद के प्रचार, अन्तःकरण
का स्वतंत्रता तथा मानव प्रतिष्ठा के प्रति सम्मान की शिक्षा दी है। उन्होंने इस बात
पर बल दिया है कि वार्ताओं द्वारा सब झगड़ों का अन्त किया जा सकता तथा सभी समस्याओं का
समाधान ढूँढ़ा जा सकता है।