नैतिक एवं ज़िम्मेदारीपूर्ण पर्यटन संस्कृति का प्रचार हो
वाटिकन सिटी, 23 अप्रैल, 2012 (सेदोक, वीआर) पर्यटन संबंधी मेषपालीय देख-रेख के लिये
मेक्सिको के कैनचुन में आयोजित सातवें विश्व काँग्रेस के लिये अपने संदेश देते हुए संत
पापा ने कहा, "अन्य मानवीय यथार्थो की तरह ही पर्यटन को भी ईशवचन के आलोक में देखा जाना
और इसके द्वारा परिवर्तित किया जाना चाहिये।" उन्होंने कहा "पर्यटन निश्चय ही आज
के युग की महत्वपूर्ण सच्चाई है जिसने एक ओर समाज में एक महत्वपूर्ण स्थान बना लिया है
और भविष्य में भी इसके विकास की प्रबल संभावना है।" "कलीसिया एक ओर चाहती है कि इसके
मूल्यों को बढ़ावा दे और दूसरी ओर इससे उत्पन्न होने वाले खतरों और भटकावों के प्रति
लोगों को आगाह करे। संत पापा ने कहा, "पर्यटन अवकाश का समय होने के साथ शारीरिक और
आध्यात्मिक नवीनीकरण का एक ऐसा सुवासर है जब विभिन्न सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के लोग प्रकृति
और एक दूसरे के निकट आते हैं। यह अवसर विभिन्नता के बीच एक-दूसरे के बारे में जानने,
एक साथ चिन्तन करने, शांति और सहिष्णुणता तथा वार्ता और सद्भावना का पाठ सीखने का अवसर
प्रदान करता है।" पर्यटन के नाम पर दूसरी जगह जाना हमें इस बात की याद दिलाता है
कि हम यात्री है जो ईश्वर की खोज कर रहे हैं। यह हमें आमंत्रित करता है कि हम यात्रा
करते हुए एक दिन ईश्वर को पायें। यात्रा हमें इस बात के लिये भी आमंत्रित करता है कि
हम प्रकृति की सुन्दरता की सराहना करते हुए प्रकृति के सृष्टिकर्त्ता को पहचाने। पर्यटन
की अच्छाइयों के साथ हम इस बात को नहीं भूल सकते हैं कि यौन पर्यटन के कारण ग़रीब, नबालिग
और विकलांग इसके शिकार न हो जायें। संत पापा ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की
है कि वे इस बात पर निगरानी रखें पर्यटन के नाम पर होने वाले यौन दुराचार, अंग व्यापार,
बच्चों एवं युवतियों का शोषण न हो और ऐसे पतन से समाज को बचायें। संत पापा ने कहा,
कि वे चाहते हैं कि कलीसिया पर्यटकों का देखभाल करे और कलीसिया के सामाजिक शिक्षा के
आधार पर नैतिक और ज़िम्मेदारीपूर्ण पर्यटन संस्कृति का प्रचार करे।