विश्व धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा करें अमेरिकी काथलिक
वाशिंगटन डी.सी, 21 अप्रैल, 2012 (सीएनए) संयुक्त राष्ट्र संघ में वाटिकन के स्थायी
पर्यवेक्षक महाधर्माध्यक्ष फ्रांसिस ए. चुल्लीकट्ट ने कहा, "अमेरिकी काथलिकों को चाहिये
कि वे सच्ची धार्मिक स्वतंत्रता के लिये पूरे विश्व में कार्य करें ताकि धार्मिक उत्पीड़न
के ख़तरे से बचा जा सके।" उक्त बातें उस समय कहीं जब उन्होंने 19 अप्रैल को नैशनल
कैथोलिक प्रेयर ब्रेकफस्ट की आठवीं आमसभा के प्रतिनिधियो को संबोधित किया। महाधर्माध्यक्ष
ने कहा, "आज मानवता का भविष्य ही खतरे में है। मैने साम्प्रदायिक दंगों की भयंकरता को
करीब से देखा है। मैंने देखा है विश्वास के लिये कई लोगों को गिरफ़्तार किया गया, सताया
गया और कई मौत के घाट उतार दिये गये।" उन्होंने उन घटनाओं की याद कि जिसे उन्होंने
ईराक में वाटिकन के प्रेरितिक राजदूत रूप में देखा और अनुभव किया था। उन्होंने कहा,"जिन्हें
मारा गया उत्पीड़ित किया गया और मार डाला गया वे मात्र कही-सुनी बातें या उनके बारे में
रची गयी कहानियाँ नहीं थीं पर वे मेरे मित्र, सहयोगी और पड़ोसी थे।" उन्होंने कहा,
"ख्रीस्तीय विश्वास के लिये अपने प्राण देनेवालों को हम नहीं भूल सकते। जब धार्मिक स्वतंत्रता
का हनन होता और ईश्वर को दरकिनार कर दिया जाता है तो इसी प्रकार की अप्रिय घटनायें घटती
हैं।" महाधर्माध्यक्ष चुल्लीकट ने इस बात को दुहराया कि मानव का यह मूलभूत और ‘पवित्र’
अधिकार है कि वह अपने विश्वास को जीने और उसकी घोषणा करने की माँग करे। वाटिकन पर्यवेक्षक
ने कहा, "धार्मिक स्वतंत्रता पूजा-आराधना करने की स्वतंत्रता मात्र नहीं है यह प्रचार
करने का अधिकार, धर्मशिक्षा, राजनीतिक प्रक्रिया और सार्वजनिक क्रिया-कलापों में सहभागी
होने की स्वतंत्रता भी है।" महाधर्माध्यक्ष ने कहा कि यदि सरकार धार्मिक विश्वास
को तोड़ने देती या इसके सार्वजनिक क्रियाकलापों को वर्जित करती या ईश्वर प्रदत्त धार्मिक
स्वतंत्रता का सम्मान नहीं कर पाती तो वह अपने ‘अधिकार सीमा को उल्लंघन’ करती है। उन्होंने
काथलिकों अपील की है कि धार्मिक स्वतंत्रता के बारे में आवाज़ उठायें और दूसरों को भी
ऐसा करने के लिये प्रेरित करें। उन्होंने कहा,"दूसरों के अधिकारों की रक्षा करके ही
हम अपने अधिकारों की रक्षा कर पायेंगे।"