प्रेरक मोतीः सन्त मार्टिन प्रथम (सन्त पापा 649-656)
वाटिकन सिटी 13 अप्रैल सन् 2012 मार्टिन प्रथम का जन्म इटली के उमब्रिया प्रान्त के
टोडी नगर में हुआ था। 05 जुलाई सन् 649 ई. में सन्त पापा थेओदोर प्रथम के निधन के बाद
मार्टिन प्रथम सन्त पापा पद पर नियुक्त किये गये थे तथा इस सन् 654 ई. तक कलीसिया के
परमाध्यक्ष थे। सत्यभाषी होने के कारण तत्कालीन सम्राट कॉन्सतान्स के हाथों उन्हें उत्पीड़न
का सामना करना पड़ा था।
उस युग में यह धारणा प्रचलित थी कि प्रभु येसु मसीह की
इच्छा की प्रकृति मानवीय न होकर केवल ईश्वरीय थी। इस ग़लत धारणा को समाप्त करने के लिये
सन्त पापा मार्टिन प्रथम ने अपनी आवाज़ उठाई और घोषित किया कि येसु के दो स्वभाव हैं
ईश्वरी और मानवीय अतः दो इच्छाएँ हैः मानवीय और ईश्वरीय। इसपर सम्राट चिढ़ गये तथा उन्होंने
एक आदेश जारी कर इस विषय पर चर्चा करना निषिद्ध कर दिया किन्तु सन्त पापा मार्टिन प्रथम
ने लोगों को धर्मशिक्षा देना बन्द नहीं किया। इसपर सम्राट ने उनका अपहरण करवाया तथा उन्हें
क्रिमेया द्वीप में निष्कासित कर दिया। यहाँ सन्त पापा मार्टिन प्रथम ने भूख, प्यास तथा
अन्य यातनाएँ सही किन्तु सत्य पर अटल रहे।
सन्त पापा मार्टिन प्रथम के पत्रों
से पता चलता है कि ख़ुद उनके मित्रों ने, सम्राट के भय से, उनका साथ छोड़ दिया था। निष्कासन
में दो वर्ष रहने के बाद सन् 656 ई. में सन्त पापा मार्टिन प्रथम का निधन हो गया। काथलिक
कलीसिया के शहीद रूप में उन्हें याद किया जाता है। उनका स्मृति दिवस 13 अप्रैल को मनाया
जाता है।
चिन्तनः सतत् प्रार्थना द्वारा हम सत्य बोलने की शक्ति
प्राप्त करें तथा प्रभु में अपने विश्वास को सुदृढ़ करें।