जिनिवाः विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार मनोभ्रंश मामलों में वृद्धि
जिनिवा, 12 अप्रैल सन् 2012 (विभिन्न सूत्र): विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विश्व
में, डिमेनशिया, मनोभ्रंश अथवा पागलपन की बीमारी से ग्रस्त लोगों की संख्या में नित्य
वृद्धि हो रही है। संगठन के आँकड़ों के अनुसार विश्व भर में लगभग साढ़े तीन करोड़ व्यक्ति
डिमेनशिया या पागलपन से ग्रस्त हैं। यह संख्या 2030 तक दुगुनी तथा सन् 2050 तक तिगुनी
होने का अनुमान है। बताया गया कि डिमेनशिया सभी देशों के लोगों को प्रभावित करता है
किन्तु 58 प्रतिशत डिमेनशिया ग्रस्त लोग निर्धन देशों में जीवन यापन करते हैं।
डिमेनशिया
रोग पर विश्व स्वास्थ्य संगठन तथा अल्जाइमर रोग इंटरनेशनल द्वारा हाल में प्रकाशित एक
रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि स्थिति में सुधार लाने के लिये रोग की शीघ्र पहचान
हेतु उपयुक्त कार्यक्रम बनाये जायें। साथ ही इस बीमारी के बारे में जनता में जगरुकता
बढ़ाने के प्रयास किये जायें ताकि लोग इसे कलंक मानकर छिपाने का प्रयास न करें अपितु
डिमेनशिया ग्रस्त लोगों को आरम्भिक चरणों में ही उपयुक्त चिकित्सा मुहैया कराने का प्रयास
करें।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के डॉ. शेखर सक्सेना ने वाटिकन रेडियो से बातचीत
में कहा, "हम मानते हैं कि डिमेनशिया या पागलपन के लिए अब तक कोई इलाज नहीं है, लेकिन
प्रबन्धन, चिकित्सा एवं रोगियों की बेहतर देखभाल कर इसे नियंत्रण में रखा जा सकता है।"
डिमेनशिया वह बीमारी है जिसमें मस्तिष्क की कमज़ोरी के कारण आम तौर पर याददाश्त
के साथ साथ व्यक्ति की सोच, उसका व्यवहार तथा रोज़मर्रा की गतिविधियों के सम्पादन की
क्षमता प्रभावित होती है।