वाटिकन सिटीः पास्का महापर्व के उपलक्ष्य में रोम शहर एवं विश्व के नाम जारी सन्त पापा
बेनेडिक्ट 16 वें का सन्देश
वाटिकन सिटी, 08 अप्रैल सन् 2012 (सेदोक): विश्व के ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों ने, रविवार
08 अप्रैल को, पास्का महापर्व मनाया। इस उपलक्ष्य में काथलिक कलीसिया के परमाध्यक्ष सन्त
पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने रोम स्थित सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण पास्का महायाग
अर्पित कर विश्व तथा रोम शहर के नाम अपना विशिष्ट पास्का सन्देश जारी किया।
उन्होंने
कहा, "रोम तथा विश्व भर के भाइयो एवं बहनो,
पास्का की सुबह पहले पहल पुनर्जीवित
येसु का साक्षात्कार करनेवाली, मरियम मग्दलेना के अधरों से निकले, प्राचीन भजन के शब्दों
में, कलीसिया की उल्लसित आवाज आप सब तक पहुँचे। वे अन्य शिष्यों के पास दौड़ीं तथा हाँफते
हुए उन्होंने उनके समक्ष घोषित कियाः "मैंने प्रभु के देखा है।" (योहन 20,18) हम भी,
जो चालीसा काल के रेगिस्तान तथा दुखभोग के दुखदायी दिनों से गुज़रे हैं, आज विजय की पुकार
को अपने जीवन में जगह दें: "प्रभु जी उठे हैं, वे सचमुच में जी उठे हैं।"
प्रत्येक
ख्रीस्तीय धर्मानुयायी मरियम मग्दलेना के अनुभव की अनुभूति प्राप्त करता है। यह एक ऐसा
साक्षात्कार है जो जीवन को बदल देता हैः एक अद्वितीय मानव के साथ साक्षात्कार, जो हमें
ईश्वर की अच्छाई एवं सच्चाई का अनुभव कराता तथा बुराई से मुक्त करता है, सतही तौर पर
नहीं, क्षण भर के लिये भी नहीं, परन्तु क्राँतिकारी ढंग से हमें स्वतंत्र करता, चंगाई
प्रदान करता तथा हमें हमारी प्रतिष्ठा और गरिमा से परिपूर्ण कर देता है। यही कारण है
कि मरियम मग्दलेना येसु को "मेरी आशा" कहती हैं: क्योंकि प्रभु येसु ने ही उन्हें नवजीवन
दिया, एक नया भविष्य दिया, सब बुराई से मुक्त कर एक अच्छा जीवन दिया। "ख्रीस्त मेरी आशा"
का मतलब है कि भला काम करने की मेरी हर इच्छा, प्रभु में, एक वास्तविक सम्भावना को पाती
हैः उनके साथ रहकर मैं आशा कर सकता हूँ कि मेरा जीवन अच्छा होगा, पूर्ण होगा, अनन्त होगा
क्योंकि ईश्वर स्वयं हमारे निकट आये, यहाँ तक कि उन्होंने हमारी मानवता में प्रवेश किया।
लेकिन, अन्य शिष्यों की तरह, मरियम मग्दलेना को भी, लोगों के नेताओं द्वारा,
प्रभु को, बहिष्कृत, गिरफ्तार, कोड़े लगते हुए, प्राणदण्ड मिलते तथा क्रूसित होते हुए
देखना पड़ा। भलाई और अच्छाई से परिपूर्ण व्यक्ति को मानवीय दुष्टता के अधीन देखना अवश्य
ही असहनीय हुआ होगा, झूठ द्वारा सत्य का उपहास, प्रतिशोध द्वारा दया की निन्दा। येसु
की मृत्यु के साथ, उन सब लोगों की आशा धूमिल होती प्रतीत हुई जिन्होंने उनमें भरोसा रखा
था। तथापि, विश्वास कभी भी पूरी तरह विफल नहीं हुआः विशेष रूप से, येसु की माता, कुँवारी
मरियम के हृदय में विश्वास की लौ रात के अंधेरे में भी जलती रही। इस विश्व में, ऐसा सम्भव
नहीं कि आशा को बुराई की कठोरता से भिड़ना न पड़े। उसे अवरुद्ध करनेवाली दीवार केवल मृत्यु
ही नहीं है अपितु उससे भी अधिक नुकीले हैं ईर्ष्या एवं अहंकार, झूठ एवं हिंसा के काँटें।
येसु इस नश्वर जाल से पार हुए हैं ताकि हमारे लिये जीवन राज्य का रास्ता खोल सकें। एक
पल के लिये ऐसा लगा मानों येसु परास्त हो गये थेः अन्धकार ने धरती पर धावा बोल दिया था,
ईश्वर का महामौन सर्वत्र छा गया था और आशा शब्द निरर्थक प्रतीत हो रहा था।
किन्तु,
देखो! विश्राम दिवस के बाद आये उषाकाल में, कब्र खाली पाई गयी। फिर येसु मरियम मग्दलेना,
अन्य महिलाओं तथा शिष्यों को दिखाई दिये। विश्वास, नये सिरे से, पुनर्जाग्रत हुआ, जो,
पहले से कहीं अधिक मज़बूत और अजेय था क्योंकि वह एक निर्णायक अनुभव पर आधारित थाः "एक
विलक्षण मुकाबले में मृत्यु और जीवन का आमना सामना हुआ। जीवन के स्वामी और प्रभु मर गये
थे किन्तु अब विजयी होकर जी उठे हैं।" पुनःरुत्थान के संकेत मृत्यु पर जीवन की, घृणा
पर प्रेम की, प्रतिशोध पर दया की विजय का साक्ष्य देते हैं: "जीवित ख्रीस्त की कब्र,
पुनर्जीवित ख्रीस्त की महिमा तथा स्वर्गदूतों की गवाही, कफ़न और लपेटे हुए कपड़े।"
प्रिय भाइयो एवं बहनो, "यदि येसु जी उठे हैं, तब - और केवल तब ही – कुछ
न कुछ नया अवश्य हुआ है जिससे मानव एवं विश्व की स्थिति में परिवर्तन आया है। अस्तु,
येसु वो शख़्स हैं जिनपर हम पूरी तरह विश्वास कर सकते हैं, केवल उनके सन्देश में ही नहीं,
बल्कि स्वयं येसु में क्योंकि पुनर्जीवित प्रभु अतीत के नहीं अपितु वर्तमान के स्वामी
हैं, वे आज जीवित हैं। प्रभु ख्रीस्त, विशेष रूप से, उन उत्पीड़ित ख्रीस्तीय समुदायों
की आशा और सान्तवना हैं जो, विश्वास के ख़ातिर, भेदभाव एवं अत्याचार का शिकार बनाये जाते
हैं। उत्पीड़न एवं अन्याय की हर मानवीय स्थिति में प्रभु अपनी कलीसिया के माध्यम से,
आशा की शक्ति रूप में, मौजूद हैं।
पुनर्जीवित ख्रीस्त मध्य पूर्व के देशों
को आशा का वरदान दें ताकि उस क्षेत्र के सभी सांस्कृतिक एवं धार्मिक समूह जनकल्याण तथा
मानवाधिकारों के प्रति सम्मान हेतु सहयोग प्रदान करें। विशेष रूप से, सिरिया में, रक्तपात
समाप्त किया जाये तथा प्रतिबद्धता के साथ, तत्काल, वार्ता एवं पुनर्मिलन का रास्ता ढूँढ़ने
हेतु सुलह की जाये, जिसका आह्वान अन्तरराष्ट्रीय समुदाय ने भी किया है। उस देश से आनेवाले
असंख्य शरणार्थी एवं लोकोपकारी सहायता के ज़रूरतमन्द स्वीकृति एवं एकात्मता का अनुभव
करें ताकि उन्हें उनकी कष्टदायी पीड़ा से राहत मिल सके। पास्का की विजय ईराक के लोगों
को प्रोत्साहन दे ताकि स्थायित्व एवं विकास के पथ पर आगे बढ़ने में वे कोई कसर नहीं छोड़ें।
पवित्र भूमि में, इसराएली एवं फिलीस्तीनी लोग साहसपूर्वक, पुनः शांति की प्रक्रिया को
आरम्भ करें।
बुराई एवं मृत्यु पर विजय पाने वाले प्रभु, अफ्रीका महाद्वीप
के ख्रीस्तीय समुदायों को समर्थन दें, कठिनाईयों का सामना करने हेतु उनमें आशा का संचार
करें, उन्हें शांति निर्माता तथा समाज के विकास का अस्त्र बनायें।
पुनर्जीवित
येसु हॉर्न ऑफ अफ्रीका की पीड़ित जनता को सान्तवना दें तथा पुनर्मिलन हेतु अनुकूल स्थिति
उत्पन्न करें; प्रभु, ग्रेट झील क्षेत्र, सूडान तथा दक्षिणी सूडान की मदद करें, प्रभु,
इन देशों के निवासियों को क्षमा करने की शक्ति दें। इस समय नाज़ुक घटनाक्रम से गुज़र
रहे माली देश को महिमामय प्रभु ख्रीस्त शांति एवं स्थायित्व का वरदान दें। हाल में बर्बर
आतंकवादी हमलों का रंगमंच बने, नाईजिरिया में, पास्का का आनन्द, शांति तथा नागरिकों की
धार्मिक स्वतंत्रता के प्रति सम्मान से परिपूर्ण समाज के निर्माण के लिये आवश्यक ऊर्जा
प्रदान करे।
हैप्पी ईस्टर! आप सबको ईस्टर मुबारक! "
इस तरह रोम शहर
और विश्व के नाम अपना पास्का सन्देश समाप्त करने के बाद सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने
65 विभिन्न भाषाओं में पास्का की शुभकामनाएँ अर्पित कीं जिनमें इताली एवं अँग्रेज़ी
सहित हिन्दी, तमिल, मलयालम, बंगला, उर्दु और सिंघली भाषाएं भी शामिल थीं।
पास्का
की मंगलकामनाएँ अर्पित करने के बाद सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने सबको अपना प्रेरितिक
आशीर्वाद प्रदान किया।