2012-03-27 12:04:18

सान्तियागो दे क्यूबाः क्यूबा में सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें का स्वागत


सान्तियागो दे क्यूबा, 26 मार्च सन् 2012 (सेदोक): साम्यवादी क्यूबा में विश्वास के नवीकरण की आशा मन में लिये सोमवार को सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें क्यूबा के सान्तियागो दे क्यूबा नगर पहुँचे जहाँ पूर्ण राजकीय ठाट-बाठ के साथ उनका हार्दिक स्वागत किया गया।

क्यूबा गणतंत्र कैरिबियन सागर स्थित एक द्वीप देश है जिसकी कुल आबादी लगभग 12 लाख है। कई द्वीपों के समूह से बने क्यूबा देश की राजधानी हवाना है जो देश का सर्वाधिक विशाल शहर भी है। क्यूबा का दूसरा सबसे बड़ा शहर सानितयागो दे क्यूबा है जिसकी आबादी लगभग चार लाख है। क्यूबा के साठ प्रतिशत लोग काथलिक धर्मानुयायी हैं।

क्यूबा की सामान्य जनता, भले ही, सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें के आगमन की आतुरता से प्रतीक्षा करती रही है किन्तु इस यात्रा को राजनैतिक रंग भी चढ़ाया गया है। रोम से मेक्सिको की यात्रा के दौरान शुक्रवार को पत्रकारों के प्रश्नों का उत्तर देते हुए सन्त पापा ने स्पष्ट किया था कि कलीसिया न तो कोई राजनैतिक सत्ता है और न ही कोई राजनैतिक पार्टी। क्यूबा के विषय में उन्होंने कहा था कि "इस यात्रा से सहयोग और संवाद का नया रास्ता खुला है जिसपर धैर्यपूर्वक आगे बढ़ते रहना अनिवार्य है।" क्यूबा तथा अन्य साम्यवादी सत्ता वाले देशों की वर्तमान स्थिति के मद्दे नज़र उन्होंने यह भी कहा था कि यह स्पष्ट हो गया है कि मार्क्सवादी विचारधारा वास्तविकता का जवाब देने में समर्थ नहीं रही है इसलिये धैर्य के साथ नवीन आदर्शों की खोज अनिवार्य है।

स्पानी उपनिवेशियों से स्वतंत्रता पाने की दूसरी शताब्दी मना रहे लातीनी अमरीका के सन्दर्भ में सन्त पापा ने कहा, "यह स्वभाविक है कि कलीसिया को सदैव स्वतः से यह पूछना चाहिये कि क्या इस विशाल महाद्वीप पर सामाजिक न्याय की बहाली के लिये पर्याप्त प्रयास किये गये जा रहे हैं अथवा नहीं? इसलिये कि कलीसिया कोई राजनैतिक सत्ता अथवा राजनैतिक पार्टी नहीं है अपितु एक नैतिक वास्तविकता तथा नैतिक शक्ति है।" सन्त पापा के इन शब्दों ने काथलिक कलीसिया के मिशन को स्पष्टतः परिभाषित कर दिया है तथा इस बात की पुष्टि कर दी है कि प्रत्येक मानव प्राणी को प्रतिष्ठा और सम्मान के साथ न्याय एवं शांति में जीने का अधिकार है और इसी लक्ष्य की प्राप्ति हेतु अनवरत प्रयास करते रहना कलीसिया का मिशन है।
क्यूबा की एक मात्र साम्यवादी पार्टी द्वारा गठित सरकार ने कभी भी धर्म को अवैध घोषित नहीं किया किन्तु सन् 1959 ई. में फिदेल कास्त्रो के सत्ता में आ जाने के बाद से सैकड़ों पुरोहितों को देश से निष्कासित कर दिया तथा काथलिक स्कूलों में धर्मशिक्षा पर प्रतिबन्ध लगा दिये थे। धन्य सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय के प्रयासों के परिणामस्वरूप नब्बे के दशक से काथलिक कलीसिया के प्रति सरकार का रुख कुछ नम्र हुआ किन्तु अभी भी तनाव व्याप्त हैं। 14 वर्ष पूर्व सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय ने क्यूबा की यात्रा की थी। सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें की यह पहली क्यूबा यात्रा है।

23 मार्च को आरम्भ मेक्सिको तथा क्यूबा की छः दिवसीय यात्रा के द्वितीय चरण में सन्त पापा क्यूबा के सान्तियागो दे क्यूबा तथा हवाना शहरों का दौरा कर रहे हैं।

सोमवार सन्ध्या क्यूबा समयानुसार सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें का विमान सान्तियागो दे क्यूबा विमान पत्तन पर उतरा जहाँ क्यूबा के राष्ट्रपति राऊल कास्त्रो ने उनका स्वागत किया। हवाई अड्डे पर प्रशंसकों की वह भीड़ नहीं देखी गई जो तीन दिन पहले मेक्सिको के गुआनाहुआतो हवाई अड्डे पर देखी गई थी। क्यूबा में लागू कड़े नियमों का पालन करते हुए स्वागत समारोह भी उसी स्थल पर आयोजित किया गया जहाँ राजकीय समारोह हुआ करते हैं तथा जहाँ सामान्य नागरिकों को प्रवेश नहीं दिया जाता। स्वागत समारोह के लिये तैयार मंच पर सन्त पापा, राष्ट्रपति राऊल कास्त्रो, देश में कार्यरत कूटनीतिज्ञों के प्रतिनिधि, वरिष्ठ सरकारी अधिकारी तथा क्यूबा के काथलिक धर्माध्यक्षों के साथ कुछ विश्वासी शामिल थे। इस अवसर पर क्यूबा तथा वाटिकन के राष्ट्रीय गीतों की धुनें बजाई गई तथा 21 तोपों की सलामी देकर देश में वाटिकन राज्य के राष्ट्राध्यक्ष एवं काथलिक कलीसिया के परमाध्यक्ष का स्वागत किया गया।

इस अवसर पर राष्ट्रपति राऊल कास्त्रो ने कहा कि समाजवादी क्यूबा ने अपने नागरिकों को धर्म की स्वतंत्रता प्रदान की तथा काथलिक कलीसिया के साथ भी उसके सम्बन्ध अच्छे ही रहे हैं। उन्होंने कहा कि विश्वव्यापी निर्धनता, असमानता तथा पर्यावरण के ह्रास के प्रति सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें की चिन्ता में क्यूबा भी उनके साथ है।

स्वागत समारोह के अवसर पर दोनों ही नेताओं ने 14 वर्षों पूर्व सम्पन्न धन्य सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय की क्यूबा यात्रा का ज़िक्र किया तथा उसे क्यूबा के लिये रचनात्मक एवं महत्वपूर्ण घटना निरूपित किया।

सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने कहा कि सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय की क्यूबा यात्रा "मन्द हवा की तरह थी जिसने क्यूबा की कलीसिया में नवीन शक्ति का संचार किया था।"












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