वियेना 22 मार्च 2012 ऊकान आस्ट्रिया आधारित एक पर्यवेक्षण केन्द्र Observatory on
Intolerance and Discrimination Against Christians in Europe की एक रिपोर्ट के अनुसार
ईसाईयत की आधारभूमि यूरोप भी ईसाई विरोधी कृत्यों का नया लक्ष्य बन गया है। पिछले साल
यूरोप में हेट क्राइम या नफरत अपराध के तहत हुए 85 फीसदी मामलों में ईसाईयों को निशाना
बनाया गया। आस्ट्रिया आधारित पर्यवेक्षण केन्द्र के निदेशक गुडरून कुगलर के अनुसार यह
समय है कि सार्वजनिक विचार गोष्ठियों और बहसों में महाद्वीप की इस सच्चाई का प्रत्युतर
देनेवाली प्रवृत्ति पर विचार किया जाये। रिपोर्ट में धार्मिक संकेतों और प्रतीकों पर
दबाव, अपवित्रीकरण, घृणा अपराध तथा धर्म की आड़ में उत्प्रेरित हिंसा की घटनाओं का सार
भी प्रस्तुत किया गया है।
कुगलर ने इस तथ्य पर संतोष जाहिर किया कि अनेक लोग
सोचते थे की तीसरी दुनिया के देशों में ही ईसाई विरोधी अत्याचार होता था वे अब महसूस
करने लगे हैं कि यूरोप में ईसाईयों की स्वतंत्रता और अधिकारों पर पाबंदी अब हमारा ध्यान
आकर्षित कर रही है। रिपोर्ट में कहा गया कि स्काटलैंड में हुए 95 फीसदी धर्म उत्प्रेरित
हिंसा का लक्ष्य ईसाईयों को बनाया गया तथा फ्रांस में तोड़फोड़ की 84 फीसदी घटनाएँ ईसाई
प्रार्थनालयों या आराधना स्थलों के खिलाफ निर्देशित थीं। पर्यवेक्षण केन्द्र ने देखा
कि मजिस्ट्रेट, चिकित्सक, नर्स, मिडवाइफ और फार्मासिस्ट जैसे पेशों में ईसाईयों की अंतकरण
की स्वतंत्रता को कम करने पर दबाव बढ़ रहा है। सरकार द्वारा परिभाषित यौन नैतिकता से
असहमत होनेवाले अभिभावक और शिक्षक भी मुश्किल में पड़ जाते हैं।
यूनाइटेड किंगडम
में सर्वेक्षण में शामिल होनेवाले 74 फीसदी लोगों ने कहा कि अन्य धर्मों के लोगों की
अपेक्षा ईसाईयों के खिलाफ अधिक नकारात्मक भेदभाव है। काथलिक धर्माध्यक्ष अन्देस वेरेज
जो यूरोप में धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों की समिति की गतिविधियों पर पर्यवेक्षण समिति के
कार्यों की निगरानी करते हैं उन्होंने कहा कि यह रिपोर्ट ईसाईयों को साहसी बनाये ताकि
वे अज्ञात होने के भय से बाहर निकलें यदि उन्होंने धर्म के कारण भेदभाव या असहिष्णुता
का अनुभव किया है। यूरोप के धर्माध्यक्ष उनका समर्थन करते हैं जिनके अधिकारों का सम्मान
नहीं किया गया है। धार्मिक स्वतंत्रता बहुमूल्य तथ्य है जो हमारे महाद्वीप में अब भी
शांति का स्तंभ बना हुआ है।