स्विटरजलैंड, 17 मार्च, 2012 (ज़ेनित) संयुक्त राष्ट्र संघ के मानवाधिकार दल के दबाव
पर ईरान के उच्चाधिकारी मोहम्मद जावेद लरिज़ानी ने ईसाई पास्टर के मृत्यु दंड की बात
खंडन किया है। उनका कहना है कि ईसाई पास्टर ने इस्लाम धर्म का अपमान किया है ईरान
की सर्वोच्च न्यायालय ने मृत्यु दंड का फ़ैसला सुनाया था पर ऐसा नहीं है कि उन्हें मौत
की सजा का सामना करना पड़े। मोहम्मद ने उक्त बातें उस समय कहीं जब संयुक्त राष्ट्र
संघ की मानवाधिकार समिति की बैठक के एक सदस्य शाहिद ने ईसाई पास्टर का मुद्दा उठाया।
लारिज़ानी ने ईसाई पास्टर पर लगाये गये पूर्व आरोपों में बदलाव लाते हुए कहा कि नादारखानी
ने अपने निवास को चर्च का रूप दे दिया था, इस्लाम का अपमान करते हुए अभिभावकों की बिना
अनुमति के युवा को प्रवचन दिया करता था। उन्होंने इस बात का भी खुलासा किया कि "इस्लामिक
क्रांति के बाद ईरान के 33 सालों के इतिहास में इस्लाम धर्म को त्यागने के आरोप मे न
किसी को मौत की सजा दी गयी है, मार गया न ही किसी पर पर दबाव डाला गया।" उन्होंने
कहा, "अनेकों अपना धर्म परिवर्तन कर इस्लाम धर्म अपना रहे हैं। हम क्यों कुछ लोगों के
इस्लाम धर्म छोड़ने के प्रति इतने संवेदनशीलहो जायेँ। उन्होंने यह भी कहा, "ईरान
में ईसाई और यहूदी धर्म के बारे में प्रवचन दिये जाते हैं’यहाँ कई सिनोगॉग और गिरजाघर
हैं। पर इस्लाम धर्म को अपमानित करने या नीचा दिखाने की कोई आवश्यकता नहीं है।"