प्रेरक मोतीः स्कॉटलैण्ड के शहीद सन्त जॉन ओजिलवी (1579-1615) (10 मार्च)
वाटिकन सिटी, 10 मार्च सन् 2012:
जॉन ओजिलवी का जन्म, स्कॉटलैण्ड के केलवानिस्ट
ख्रीस्तीय समुदाय के एक समृद्ध परिवार में सन् 1579 ई. में हुआ था। बाल्यकाल से ही उन्होंने
काथलिक शिक्षण संस्थानों में शिक्षा प्राप्त तथा यूरोप में धार्मिक उथल पुथल के समय काथलिक
धर्म का आलिंगन कर लिया। 17 वर्ष की आयु में जॉन ओजिलवी ने बैल्जियम के लोवेन स्थित काथलिक
गिरजाघर में बपतिस्मा संस्कार प्राप्त किया।
सन् 1608 ई. में येसु धर्मसमाज में
प्रवेश करने के केवल दो वर्ष बाद ही सन् 1610 ई. में आप पुरोहित अभिषिक्त कर दिये गये।
पुरोहिताभिषेक के बाद जॉन फ्राँस में अपनी प्रेरिताई का निर्वाह करते रहे किन्तु इस दौरान
उन्होंने अपने अध्यक्षों से कई बार स्कॉटलैण्ड लौटने की अपील की ताकि वहाँ के छोटे से
काथलिक समुदाय की प्रेरितिक सेवा कर सकें।
ग़ौरतलब है कि सन् 1560 ई. के बाद
से स्कॉटलैण्ड में काथलिक धर्म के प्रचार-प्रसार पर प्रतिबन्द लग गया था। सन् 1603 ई.
में जॉन वापस स्कॉटलैण्ड लौटे तथा गुप्त रूप से काथलिकों की प्रेरितिक सेवा में लग गये।
वे निजी घरों में ख्रीस्तयाग अर्पित करते तथा लोगों के साथ मिलकर बाईबिल पाठ किया करते।
इसी दौरान उनके एक मित्र ने विश्वासघात कर उन्हें पकड़वा दिया। उन्हें बन्दीगृह में डाल
दिया गया तथा नाना प्रकार उत्पीड़ित किया गया। काथलिक धर्म से बहिष्कार के लिये बाध्य
किया गया किन्तु जॉन अपने विश्वास पर अटल रहे। 10 मार्च सन् 1615 ई. को उन्हें फ्राँसी
पर लटका दिया और मार डाला गया। स्कॉटलैण्ड के शहीद सन्त जॉन ओजिलवी का पर्व 10 मार्च
को मनाया जाता है।
चिन्तनः कठिनाईयों के बावजूद प्रभु येसु में अपने
विश्वास का हम परित्याग न करें बल्कि ईश वचन के पाठ से शक्ति प्राप्त कर विश्व में न्याय,
मैत्री, प्रेम एवं शान्ति का प्रसार करें।