2012-03-09 16:07:06

सीरिया के ईसाईं अत्याचार के भय में जीवन जी रहे


येरूसालेम 9 मार्च 2012 (सीएनएस) फिलिस्तीन के लिए पोंटिफिकल मिशन के अधिकारी ने कहा कि सीरीया में रह रहे ईसाई भी भय के वातावरण में रह रहे हैं जैसा कि इराक में हो रहे अत्याचारों में देखा गया है। लेबनान तथा सीरिया के क्षेत्रीय निदेशक तथा पोंटिफिकल मिशन के उपाध्यक्ष इस्साम बिसहारा ने कहा कि इराक में हो रहा पैटर्न उभर रहा है, इस्लामिक शस्त्रधारी सीरिया में ईसाईयों का अपहरण कर उनकी हत्या कर रहे हैं। बिसहारा ने एक ई मेल इंटरव्यू में कहा कि सीरियाई शहर होमस में सरकारी सैनिकों तथा विद्रोहियों के बीच हिंसक संघर्षों में 200 से अधिक ईसाईयों की हत्या हो गयी है।
जोर्डन और इराक के लिए पोंटिफिकल मिशन के क्षेत्रीय निदेशक राईद बाहाउ ने कहा कि क्षेत्र में घट रही घटनाओं की प्रतिक्रियाओं पर ईसाईयों को चिंता है। उन्हें भय है कि इराक और लेबनान के अनुभव जो गृहयुद्ध की पृष्ठभूमि में हुए इनकी पुनरावृत्ति उनकी अपनी भूमि में हो सकती है। ये चिंता सीरियाई ईसाईयों को व्यथित करता है। हमने इराक में ईसाईयों को खोया यदि हम सीरियी में उन्हें खो दें तो फिर मध्य पूर्व के ईसाईय़ों का क्या होगा। ईसाई क्षेत्र से पलायन कर रहे हैं और हमें इस क्षति को रोकने के लिए काम करना है। हमारे पास समय नहीं है। मध्य पूर्व में सीरिया ही ईसाईयों का अंतिम गढ़ है। यदि वे सीरिया से पलायन करने लगें तो क्षेत्र में ईसाईयत की समाप्ति की यह शुरूआत है।
काथलिक न्यूज सर्विस को दिये टेलीफोन वार्ता में बहाउ ने कहा कि आधिकारिक आंकड़े नहीं हैं लेकिन लगभग 200 ईसाई उन सीरियाई शरणार्थियों में शामिल थे जिन्होंने हाल में जोर्डन में प्रवेश किया। उन्होंने कहा कि इनमें अनेक शरणार्थी वे ही लोग थे जिन्होंने ईराक से सीरिया में प्रवेश किया था। वे एक देश से दूसरे देश में शरणार्थी बने हैं। यह स्थिति न केवल जोर्डन में लेकिन लेबनान, तुर्की सब तरफ है। लोगों के इस तरह आवागमन से मध्य पूर्व क्षेत्र की स्थिति बदल रही है।








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